क्या हमारा सपना 'भगवा-ए-हिंद' होना चाहिए?: धीरेंद्र शास्त्री

सारांश
Key Takeaways
- हिंदुओं को एकजुट रहना चाहिए।
- जातिवाद से ऊपर राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दें।
- धर्म पर घात होने पर प्रतिघात करने का संकल्प।
- सनातन का मतलब है अहिंसा।
- राजनीति से दूर, रामनीति की ओर।
पटना, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रविवार को कहा कि हम किसी भी मजहब के खिलाफ नहीं हैं। वर्तमान में कहीं भाषा, क्षेत्रवाद, और जातिवाद की लड़ाइयाँ चल रही हैं। लेकिन हिंदुओं को बंटने नहीं देना है।
उन्होंने कहा कि जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद के लिए जीना चाहिए। कुछ शक्तियाँ गजवा-ए-हिंद बनाना चाहती हैं, लेकिन हमारा एक ही सपना है कि भगवा-ए-हिंद होना चाहिए।
बिहार की राजधानी पटना में रविवार को सनातन महाकुंभ में आए लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर धर्म पर घात हुआ तो मैं प्रतिघात करूंगा। मैं हिंदू हूं और हिंदुत्व की बात करूंगा।
उन्होंने कहा, "सनातन का मतलब शाश्वत है, यह वही सत्य है। सनातन का मतलब है अहिंसा, और यह पूरे विश्व का विश्वगुरु है। हर हर महादेव। बिहार के लोगों, एक बात गांठ बांध लो, हम सब हिंदू एक हैं।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि हम किसी मजहब के विरोधी नहीं हैं। न हमें मुसलमानों से दिक्कत है, न हमें ईसाइयों से। हमें उन हिंदुओं से दिक्कत है, जो जातिवाद के नाम पर हमें लड़ाते हैं। हम सब हिंदू एक हैं, एक समान हैं।
उन्होंने कहा कि हम पटना की राजनीति के खेल में नहीं हैं, बल्कि रामनीति के लिए आए हैं। हम किसी भी पार्टी के नहीं हैं, जिस-जिस पार्टी में हिंदू हैं, उस-उस पार्टी के हम हैं। हम राम के हैं, सनातन के हैं। हम हिंदुओं को जोड़कर रहेंगे।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने चुनाव के बाद बिहार में पदयात्रा करने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम हिंदुओं को जोड़कर रहेंगे। चुनाव के बाद बिहार में भी पदयात्रा करेंगे। हम यह पदयात्रा चुनाव के बाद इसलिए करेंगे, ताकि हम पर राजनीति करने का आरोप न लगे। अब जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद के लिए जीएंगे।