क्या मध्य प्रदेश सरकार जीतू पटवारी को जेल भेजेगी?

सारांश
Key Takeaways
- जीतू पटवारी ने गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया है।
- कांग्रेस का मानना है कि यह राजनीतिक विद्वेष है।
- सरकार पर ओबीसी आरक्षण के मामले में अन्याय का आरोप।
- प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन का ऐलान।
- यदि जेल भेजा गया, तो पटवारी इसके लिए तैयार हैं।
भोपाल, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार को अशोकनगर में गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार उन्हें जेल भेजती है, तो वह जेल जाने के लिए तैयार हैं।
कुछ दिनों पहले, जीतू पटवारी के खिलाफ अशोकनगर के मुंगावली में एक मामला दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति को बरगला कर गलत बयानी कराई। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक विद्वेष की संज्ञा दी है और विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इसी क्रम में, मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष सहित कई कांग्रेस नेता गिरफ्तारी देने अशोकनगर जा रहे हैं।
पटवारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि एक व्यक्ति जिसे मानव मल खिलाया गया, उसने कई जगह शिकायत की लेकिन प्रशासन और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मजबूरन वह व्यक्ति अशोकनगर से ओरछा पहुंचा और अपनी बात रखी। बाद में प्रशासन ने उस पर दबाव डालकर एक शपथ पत्र ले लिया और मामला दर्ज कर लिया। यह पूरी तरह अवैधानिक है और कांग्रेस हमेशा पीड़ितों की आवाज उठाती रही है। यदि पुलिस प्रशासन उन्हें जेल भेजता है, तो वे जेल जाने से पीछे नहीं हटेंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज सभी कांग्रेस नेता अशोकनगर में आम जनता की लड़ाई लड़ने के लिए जा रहे हैं। जनता ने हमें विपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। हम उनकी समस्याओं के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं और भाजपा द्वारा किए गए चुनावी वादों को पूरा कराने की मांग कर रहे हैं। हमारी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है।
प्रशासन द्वारा प्रदर्शन को लेकर उठाए गए कदमों पर उन्होंने कहा, "जिस नियम के तहत अनुमति दी है, उसी के अनुसार प्रदर्शन करेंगे। यदि हमें जेल में डालना है, तो सरकार हमें जेल में डाल दे।"
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर विधानसभा में विधेयक लाने का वादा किया है। पटवारी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण पर मुख्यमंत्री का बयान गलत है। सरकार ओबीसी के युवाओं के साथ अन्याय कर रही है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि नए नियम बनाए जा रहे हैं, जबकि नियम पहले से मौजूद हैं। यदि सुधार की आवश्यकता है, तो करें, लेकिन सरकार कोर्ट में वकील खड़े करके ओबीसी आरक्षण लागू नहीं करना चाहती।