क्या 'वंदे मातरम' को समझने के लिए नेहरू को शब्दकोश की आवश्यकता पड़ी थी?: संबित पात्रा
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस ने कई महान नेताओं की विरासत को समाप्त किया है।
- डॉ. संबित पात्रा ने नेहरू की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए।
- नेहरू को 'वंदे मातरम' को समझने के लिए शब्दकोश की आवश्यकता पड़ी।
- भाजपा इतिहास को सही करने का प्रयास कर रही है।
- संसद में विमर्श के दौरान नेहरू का सेकुलरिज्म उजागर होगा।
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने रविवार को दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में सोनिया गांधी द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर नेहरू की विरासत को मिटाने के आरोप का उत्तर दिया।
डॉ. पात्रा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि केवल पंडित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति और तथाकथित विरासत को संजोने के प्रयास में, कांग्रेस ने न जाने कितने महान नेताओं की विरासत को समाप्त कर दिया है, जिनमें सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस और बाबा साहब अंबेडकर शामिल हैं। आज सबसे अधिक पंडित नेहरू की विरासत को नुकसान पहुंचाने का कार्य गांधी परिवार के सदस्यों द्वारा किया जा रहा है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि सभी को ज्ञात है कि 8 दिसंबर को संसद में 'वंदे मातरम' पर चर्चा आरंभ होगी, जिसमें सभी को प्रधानमंत्री मोदी को सुनने का अवसर मिलेगा। सोनिया गांधी ने यह कहा था कि भारतीय जनता पार्टी पंडित नेहरू की छवि को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत कर रही है, जबकि कई महान नेताओं की विरासत को समाप्त किया गया है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की वर्षों तक अनदेखी की गई और उन्हें कमतर दिखाया गया। डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ भी पंडित नेहरू द्वारा किए गए व्यवहार की बातें किसी से छिपी नहीं हैं।
उन्होंने एक कार्टून प्रदर्शित किया जिसमें 2012 तक एनसीईआरटी की पुस्तकों में पंडित नेहरू को कोड़ा चलाते हुए और बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान का निर्माण करते दिखाया गया था। यह चित्रण पंडित नेहरू की वास्तविक विरासत को दर्शाता है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इतिहास को दोबारा नहीं लिख रही है, बल्कि इसे सही करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने पंडित नेहरू की धर्मनिरपेक्षता पर भी टिप्पणी की, जो वास्तव में एक भ्रामक दृष्टिकोण है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि पंडित नेहरू ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की प्रस्तावित बैठक से ठीक छह दिन पहले 'आनंदमठ' का अध्ययन किया, लेकिन उन्हें इसे समझने के लिए शब्दकोश की आवश्यकता पड़ी। 'सुजलां सुफलां मलयज शीतलां शस्य श्यामलां मातरम्' का अर्थ है कि जो मातृभूमि हमें शुद्ध जल, उत्तम फल, शीतल पवन देती है, उस मां को प्रणाम।
उन्होंने कहा कि नेहरू ने लिखा कि 'वंदे मातरम्' मुस्लिम समाज को 'इरिटेट' कर सकता है। संसद में विमर्श के दौरान नेहरू का यह झूठा और विकृत सेकुलरिज्म सभी के सामने आएगा।