क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने यूएन में भी पाकिस्तान को फिर से बेनकाब किया?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने यूएन में अपनी स्थिति को मजबूती से रखा।
- पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
- विदेश मंत्री एस जयशंकर का प्रभावशाली भाषण।
- वैश्विक मंच पर भारत की आत्मविश्वास की झलक।
- दोहरे मानदंडों का मुद्दा उठाया गया।
वाशिंगटन, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपना संबोधन दिया। उन्होंने अपने यूएनजीए में 'भारत की जनता का नमस्कार' से शुरुआत की।
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में अपने देश को सात बार 'भारत' के नाम से संबोधित किया, जबकि बीच-बीच में उन्होंने 'इंडिया' भी कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में, उन्होंने 'भारत' शब्द का जोरदार प्रयोग किया। 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने कर्तव्यों को समझते हुए, और भारत में पिछले दशक में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता के कारण परिवर्तनकारी बदलाव भी आए हैं।'
एस जयशंकर की पोशाक की बात करें, तो उन्होंने एक काले अस्तर वाला बंदगला पहना था, जिसकी जेब पर एक केसरिया रंग का रूमाल साफ दिखाई दे रहा था।
उन्होंने कहा, ''दुनिया के प्रति अपने दृष्टिकोण में भारत तीन प्रमुख अवधारणाओं द्वारा निर्देशित है, आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास।''
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने जो कुछ भी नहीं कहा, वह भी महत्वपूर्ण था, तीन देशों के नाम।
उन्होंने 'एक ऐसे पड़ोसी जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है' के बारे में बात करते हुए 'पाकिस्तान' का नाम लिए बिना ही जमकर निशाना साधा।
यूएनजीए में जवाब देने के अधिकार के साथ भारत ने अपने पड़ोसी देश को कटघरे में खड़ा कर दिया। वहीं, पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि जयशंकर के अनुसार, ''यह वही देश है, जो आतंकवाद का केंद्र है।''
द्वितीय सचिव रेन्ताला श्रीनिवास ने कहा, "यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि एक पड़ोसी, जिसका नाम नहीं लिया गया था, ने फिर भी जवाब देने और सीमा पार आतंकवाद की अपनी लंबे समय से चली आ रही गतिविधियों को स्वीकार करने का फैसला किया।"
उन्होंने कहा, "कोई भी तर्क या झूठ कभी भी 'टेररिस्तान' के अपराधों को नहीं ढक सकता।"
पाकिस्तान दूसरी बार तब उलझ गया, जब उसने स्वीकार किया कि वह "टेररिस्तान" है।
पाकिस्तान मिशन के द्वितीय सचिव मुहम्मद राशिद ने फिर से मंच संभाला और इस बात पर आपत्ति जताई कि भारत किसी देश के नाम को तोड़-मरोड़ रहा है। इसके साथ ही भारतीय प्रतिनिधित्व सदन से बाहर निकल गए।
एस जयशंकर ने एच-1बी पेशेवर वीजा पर शुल्क और प्रतिबंधों के बारे में बात करते समय अमेरिका या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लेने से भी परहेज किया।
उन्होंने कहा, "अब हम टैरिफ में अस्थिरता और बाजार में अनिश्चितता देख रहे हैं।" उन्होंने एच-1बी मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा, "वैश्विक कार्यस्थल के विकास को बाधित करना एक मुद्दा है।" उन्होंने यूएनजीए में 'दोहरे मानदंडों' का भी जिक्र किया, जिसमें रूसी तेल खरीदने पर भारत पर दंडात्मक शुल्क लगाना, जबकि अन्य देशों पर नहीं लगाने की ओर इशारा किया।
-- राष्ट्र प्रेस
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