क्या बिहार विधानसभा चुनाव में जहानाबाद में राजद का दबदबा कायम रहेगा?

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क्या बिहार विधानसभा चुनाव में जहानाबाद में राजद का दबदबा कायम रहेगा?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव में जहानाबाद सीट की ऐतिहासिकता और राजनीतिक इतिहास को जानें। क्या राजद का दबदबा कायम रहेगा या एनडीए अपनी ताकत बढ़ा पाएगा? इस लेख में जानें जहानाबाद की सच्चाई और आगामी चुनाव की चुनौतियों के बारे में।

Key Takeaways

  • जहानाबाद की ऐतिहासिकता और राजनीतिक महत्व
  • राजद का मजबूत जनाधार
  • भाजपा की चुनौतियाँ
  • आगामी चुनाव की तैयारी
  • मतदाता संरचना का विश्लेषण

पटना, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के सन्दर्भ में जहानाबाद की चर्चा अत्यधिक प्रासंगिक है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है। इस स्थान का उल्लेख 16वीं शताब्दी की मुगलकालीन कृति 'आईन-ए-अकबरी' में मिलता है, जिसे अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा और बाद में औरंगजेब के समय में संशोधित किया गया।

सूत्रों के अनुसार, 17वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा था, जिसके चलते औरंगजेब ने अपनी बहन जहांआरा के नाम पर यहां एक राहत बाजार स्थापित किया था। इसके बाद इस क्षेत्र का नाम 'जहांआराबाद' से बदलकर जहानाबाद रखा गया।

जहानाबाद विधानसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई और अब तक 17 विधानसभा चुनाव देख चुकी है। प्रारंभ में यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, किंतु बाद में स्थिति में परिवर्तन आया। 1952 में सोशलिस्ट पार्टी और 1969 में शोषित दल की जीत ने कांग्रेस के वर्चस्व को समाप्त कर दिया। कांग्रेस की अंतिम जीत 1985 में हुई, जिसके बाद पार्टी यहां से लगभग समाप्त हो गई।

2000 के दशक में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की। तब से राजद ने इस सीट पर छह बार जीत हासिल की है। 2010 में यदि कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा होता, तो यह जीत सातवीं बार भी राजद के खाते में जाती। इस चुनाव में वोटों के बंटवारे का फायदा उठाकर जदयू के अभिराम शर्मा विजयी रहे। वर्तमान में यह सीट राजद के सुदय यादव के पास है।

2025 के विधानसभा चुनावों में जहानाबाद का मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है। महागठबंधन की तरफ से वर्तमान विधायक सुदय यादव फिर से मैदान में उतरेंगे। वहीं, एनडीए खेमे में भाजपा के तीन प्रमुख नाम चर्चित हैं - एमएलसी अमिल शर्मा, पूर्व विधायक मनोज शर्मा, और पूर्व एमएलसी राधामोहन शर्मा। हालांकि, जहानाबाद का इतिहास यह बताता है कि यहां भाजपा कभी भी बड़ी ताकत नहीं रही है। पार्टी हमेशा संघर्ष करती रही है। इस स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2025 में एनडीए के लिए यह सीट जीतना एक चुनौती होगी, विशेषकर तब जब राजद का जनाधार अब भी मजबूत है। जहानाबाद में यादव और मुसलमान मतदाताओं का प्रभाव पारंपरिक रूप से बना हुआ है।

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यहां की कुल जनसंख्या 5,19,464 है। इसमें पुरुषों की संख्या 2,69,405 और महिलाओं की संख्या 2,50,059 है। वहीं, मतदाताओं की बात करें, तो यहां कुल 3,04,861 मतदाता हैं। इनमें 1,59,770 पुरुष, 1,45,088 महिलाएं, और 3 थर्ड जेंडर शामिल हैं।

Point of View

यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी रणनीतियाँ कैसे कारगर साबित होती हैं।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

जहानाबाद विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
जहानाबाद विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व उसकी सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत में निहित है, जो मुगल काल से शुरू होती है।
राजद और एनडीए के बीच मुकाबला कैसा रहेगा?
राजद का जनाधार मजबूत है, लेकिन एनडीए भी सक्रिय है। मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।
जहानाबाद की जनसंख्या क्या है?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जहानाबाद की कुल जनसंख्या 5,19,464 है।
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