क्या एसआईआर का पहला चरण सही दिशा में है? पप्पू यादव का सवाल

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क्या एसआईआर का पहला चरण सही दिशा में है? पप्पू यादव का सवाल

सारांश

पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर के पहले चरण पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को संदेहास्पद बताया और लोकतंत्र के लिए खतरा कहा। क्या यह सच में लोकतंत्र को प्रभावित करने वाला कदम है? जानें इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • पप्पू यादव ने एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
  • चुनाव आयोग को पारदर्शिता की आवश्यकता है।
  • लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी को सजग रहना चाहिए।

नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन यादव, जिन्हें पप्पू यादव के नाम से जाना जाता है, ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने जल्दबाजी में 22 लाख मृत वोटरों समेत 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की, जिसे वे लोकतंत्र के लिए एक खतरा मानते हैं।

सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि छह महीने पहले तक चुनाव आयोग को 22 लाख मृत वोटरों की जानकारी नहीं थी, फिर इतनी जल्दी इतनी बड़ी संख्या में मृतकों की पहचान कैसे हुई? उन्होंने इस प्रक्रिया को संदिग्ध बताते हुए ‘दाल में कुछ काला’ होने का इशारा किया।

उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से वोटरों के नाम काटने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी बताई। उनका कहना है कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में या पलायन कर चुके मतदाताओं से संपर्क नहीं किया, और बिना सत्यापन के फॉर्म भरे गए। पप्पू यादव ने कहा कि 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, और यह लोकतंत्र को बचाने का एकमात्र रास्ता है।

सांसद का दावा है कि एसआईआर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में ‘पिछले दरवाजे’ से सेटिंग का हिस्सा हो सकती है। उन्होंने मांग की कि 92 प्रतिशत मतदाताओं द्वारा जमा किए गए फॉर्मों के हस्ताक्षरों की जांच हो, क्योंकि कई जगहों पर मतदाताओं को बिना उनकी सहमति के फॉर्म भरे जाने की शिकायतें हैं।

'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में चर्चा को लेकर उन्होंने सरकार पर राजनीतिकरण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पर पूरे देश को गर्व है, और विपक्ष इसका सम्मान करता है। लेकिन सरकार को सेना की उपलब्धियों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पप्पू यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूरे विपक्ष की मांग को दोहराया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहकर जवाब देना चाहिए। विपक्ष चाहता है कि सरकार इस मुद्दे पर पारदर्शी और स्पष्ट जवाब दे।

तेज प्रताप यादव के निर्दलीय चुनाव लड़ने के ऐलान पर पप्पू यादव ने कहा कि मैं न तो तेज प्रताप का प्रवक्ता हूं और न ही किसी भी तरह से उनसे जुड़ा हूं। हर व्यक्ति चुनाव लड़ने या पार्टी बनाने के लिए स्वतंत्र है। विचारधाराएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन भाजपा का विरोध करने वाले पूरी तरह से इंडिया ब्लॉक के साथ हैं। तेज प्रताप एक व्यक्ति के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं; कुछ लोग भावनाओं में बहकर उन्हें वोट दे सकते हैं, क्योंकि वह लालू यादव के बेटे हैं, लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस बार गरीबों, वंचितों, और पिछड़े-अति पिछड़ों ने मन बना लिया है कि इस बार इंडिया ब्लॉक की सरकार बनानी है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतंत्र की रक्षा करें। पप्पू यादव के सवालों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और चुनाव आयोग को अपनी प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए। यह न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की भी परीक्षा है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर का पहला चरण क्या है?
एसआईआर, या विशेष गहन पुनरीक्षण, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया है।
पप्पू यादव ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाया?
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने जल्दबाजी में मृत वोटरों के नाम हटाने का कार्य किया है, जिससे लोकतंत्र को खतरा हो सकता है।
क्या पप्पू यादव की बातें सही हैं?
उनकी बातें गंभीरता से सुनने योग्य हैं और चुनाव आयोग को पारदर्शिता लानी चाहिए।