क्या तेजस्वी यादव का राजनीति में नीतीश कुमार पर बोलने का कोई औकात है? : राजू सिंह

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर बोलने का कद नहीं है।
- बिहार सरकार कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर है।
- महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का फैसला स्वागत योग्य है।
- राजनीति में संवाद का स्तर महत्वपूर्ण है।
- कांग्रेस का चुनाव आयोग पर विश्वास का सवाल उठाया गया।
पटना, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मंत्री राजू सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा एनडीए सरकार पर उनकी घोषणाओं की नकल करने संबंधी बयान पर करारा जवाब देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव का राजनीति में वह कद नहीं है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में कुछ कह सकें।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रश्न करते हुए कहा, "जब सीएम नीतीश कुमार की चर्चा हो, तो तेजस्वी यादव का उल्लेख करना उचित नहीं है। क्या आपको लगता है कि तेजस्वी यादव ऐसे नेतृत्व के सामने बोलने के योग्य हैं?"
उन्होंने बिहार में गिरती कानून व्यवस्था और खासकर पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के संदर्भ में कहा कि किसी भी देश और राज्य में ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन उन घटनाओं पर प्रतिक्रिया कैसे दी जाती है और कितनी जल्दी उस पर कार्रवाई की जाती है, यह बिहार सरकार जानती है और वह इसे कर रही है।
इसके अलावा, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के बिहार में प्रस्तावित दौरे और विपक्ष के बिहार बंद पर उन्होंने कहा कि अब उनके पास क्या शेष है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या उन्हें संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। जहां कांग्रेस जीतती है, वहां चुनाव आयोग पर वह क्या कहेगी? जब वे हारते हैं तो चुनाव आयोग की गड़बड़ी होती है, लेकिन जब वे जीतते हैं तो कुछ नहीं बोलते हैं।
बिहार मंत्रिमंडल द्वारा सरकारी नौकरी में केवल बिहार की महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण देने के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि यह निर्णय स्वागत योग्य है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं को लगातार सम्मान मिलता रहा है। कई ऐसे कार्य हुए हैं, जिन्हें देश के अन्य राज्यों ने बाद में अपनाया है।
ज्ञात हो कि बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में राज्य की सभी सरकारी सेवाओं, संवर्गों के सभी स्तरों और सभी प्रकार के पदों पर सीधी नियुक्तियों में राज्य की मूल निवासी महिला अभ्यर्थियों को ही 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।