क्या 'वोट चोरी' के बाद अन्य अधिकार भी सुरक्षित नहीं रहेंगे?: दीपांकर भट्टाचार्य

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' का आयोजन हो रहा है।
- दीपांकर भट्टाचार्य ने वोट चोरी के खिलाफ लोगों के गुस्से को उजागर किया।
- संविधान के अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह यात्रा महत्वपूर्ण है।
नवादा, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत की गई है। इस यात्रा के दौरान सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि यात्रा को काफी अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है, जो कि उनकी अपेक्षा से भी अधिक है। पिछले वर्ष, हमने नवादा से पटना तक एक पदयात्रा का आयोजन किया था, जहाँ लोगों में मंत्रियों और नेताओं के प्रति व्यापक गुस्सा और निराशा का माहौल देखा गया। यहाँ दलितों का शोषण हो रहा है। सासाराम और बिहार शरीफ में दंगे भड़काने की कोशिश की गई है। बिहार में बदलाव की एक उम्मीद लोगों में जागृत हो रही है।
भट्टाचार्य ने आगे कहा कि लोगों में एसआईआर के माध्यम से 'वोट चोरी' होने से आक्रोश है। आकांक्षा और आक्रोश दोनों ही प्रयास एक साथ चल रहे हैं। आप सड़कों पर जो देख रहे हैं, वह अप्रत्याशित है। हर पंचायत और बूथ स्तर पर लोग मतदाता सूची की जांच कर रहे हैं कि कौन शामिल है और कौन नहीं। यदि लोकतंत्र में मताधिकार छिन जाए, तो अन्य अधिकार कैसे सुरक्षित रह सकते हैं? जनता इस बात को समझ रही है।
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने बताया कि इस यात्रा की सफलता में बिहार की जनता का बड़ा योगदान है। भाजपा और चुनाव आयोग भारी भीड़ को देखकर हक्के-बक्के हैं। 'वोट-चोर, गद्दी छोड़' का नारा सड़कों पर गूंज रहा है। पहले बिहार और फिर देश में गद्दी छुड़वाने का संकल्प है। संविधान के तहत मिलने वाले मताधिकार को किसी भी परिस्थिति में छीनने नहीं देंगे। यह लड़ाई संविधान के अधिकार की है। यह राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ी जा रही है। इस यात्रा से भाजपा में बौखलाहट है। एक वोट रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान करता है। हम 'वोट चोरी' को रोकने आए हैं ताकि रोजगार की रक्षा की जा सके।
उन्होंने कहा कि मैंने स्कूलों की स्थिति देखी है। मैंने कई सरकारी स्कूलों का दौरा किया है। बच्चों के पास यूनिफॉर्म, जूते और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है, लेकिन जो लोग पढ़ाई नहीं कर पाए, जिनकी उम्र 40-45 वर्ष है, वे भी जागरूक और जानकार हैं। वे राहुल गांधी की यात्रा को देख, समझ और सुन रहे हैं ताकि यह जान सकें कि क्या हो रहा है।