क्या लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने समतामूलक समाज की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया?

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क्या लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने समतामूलक समाज की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया?

सारांश

दिल्ली में आयोजित लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रि-शताब्दी कार्यक्रम में उनके योगदान की चर्चा की गई, जिसमें उनकी प्रशासनिक कुशलता और समाज सुधारक के रूप में उनके प्रयासों को सराहा गया। जानें कैसे उन्होंने एक समतामूलक समाज की नींव रखी।

Key Takeaways

  • अहिल्याबाई होल्कर का योगदान आज भी प्रासंगिक है।
  • उन्होंने समाज सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • न्यायप्रियता और दूरदर्शिता उनके कार्यों की पहचान है।
  • वे एक महान प्रशासक थीं।
  • उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है।

नई दिल्ली, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। संवर्द्धिनी न्यास ने बुधवार को दिल्ली के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग परिसर में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रि-शताब्दी कार्यक्रम का सफल आयोजन किया।

इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश डॉ. विद्युत रंजन सारंगी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य विजय भारती, पूर्व सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर मुले, प्रो. लीना गहाने उपस्थित थे।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. लीना गहाने ने अहिल्याबाई होल्कर की प्रशासनिक कुशलता और न्याय नीतियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने न्यायप्रिय और दूरदर्शी शासक के रूप में उनकी स्थायी विरासत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई न केवल एक महान प्रशासक थीं, बल्कि एक समर्पित समाज सुधारक भी थीं, जिन्होंने एक अधिक समतामूलक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस कार्यक्रम में दिल्ली राज्य की संवर्द्धिनी न्यास की संयोजक डॉ. राधा जैन ने भी अपने विचार रखे, जिन्होंने आज के समय में अहिल्याबाई होल्कर के मूल्यों की निरंतर प्रासंगिकता पर बल दिया।

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर एक प्रसिद्ध मराठा शासिका थीं। उनका जन्म ३१ मई १७२५ को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चोंडी गांव में हुआ। वह एक साधारण परिवार से थीं। उनकी शादी मराठा साम्राज्य के होल्कर शासक मल्हार राव होल्कर के पुत्र खांडेराव से हुई थी। १७६७ में, अपने ससुर मल्हार राव होल्कर की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई ने मालवा की राजगद्दी संभाली।

उन्होंने १७६७ से १७९५ तक मालवा क्षेत्र की शासक के रूप में कार्य किया। अहिल्याबाई भारत की सांस्कृतिक विरासत की महान संरक्षक थीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने मंदिरों और घाटों का निर्माण, नदियों पर पुलों का निर्माण, कृषि का विकास, न्याय व्यवस्था में सुधार, और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए।

प्रजा के प्रति उनकी करुणा और न्यायप्रियता के कारण उन्हें लोकमाता की उपाधि मिली। अहिल्याबाई को एक प्रगतिशील और दूरदर्शी सोच वाली सशक्त महिला के रूप में जाना जाता है। १३ अगस्त १७९५ को ७० वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।

Point of View

अहिल्याबाई का कार्य हमें सही दिशा प्रदान करता है।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म कब हुआ?
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म ३१ मई १७२५ को हुआ था।
अहिल्याबाई होल्कर ने किस क्षेत्र में शासन किया?
उन्होंने १७६७ से १७९५ तक मालवा क्षेत्र में शासन किया।
अहिल्याबाई को किस उपाधि से जाना जाता है?
उन्हें लोकमाता की उपाधि प्राप्त है।
अहिल्याबाई होल्कर का निधन कब हुआ?
उनका निधन १३ अगस्त १७९५ को हुआ।
अहिल्याबाई का योगदान क्या था?
उन्होंने न्याय व्यवस्था में सुधार, मंदिरों का निर्माण, और महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य किए।