क्या लखनऊ में डीआरडीओ का आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र स्थापित होने जा रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- लखनऊ में नई आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना.
- 2000 करोड़ रुपए का निवेश और 10 हेक्टेयर भूमि.
- 150 इंजीनियरों और 500 युवाओं को रोजगार.
- सेमीकंडक्टर आईआर डिटेक्टरों का निर्माण.
- आयात पर निर्भरता कम होगी.
लखनऊ, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत लखनऊ रोड पर, सरोजनीनगर तहसील के भटगांव में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना की जाएगी। इस परियोजना के लिए डीआरडीओ से संबद्ध यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आईआरडीई) को एक रुपए वार्षिक लीज रेंट पर 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। मंत्रिपरिषद की बैठक में मंगलवार को इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।
इस केंद्र की स्थापना पर कुल 2000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, और यह डीआरडीओ की सहायता से स्थापित किया जाएगा। यहां सेमीकंडक्टर आईआर डिटेक्टर का निर्माण किया जाएगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।
उपमुख्यमंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर, डीआरडीओ ने आईआर डिटेक्टरों के विकास एवं निर्माण हेतु स्वदेशी फैब लाइन की नई परियोजना के अंतर्गत प्रयोगशाला की स्थापना के लिए राज्य सरकार से भूमि की मांग की थी। इस प्रयोगशाला में सेमीकंडक्टर आईआर डिटेक्टर का निर्माण होगा, जो ब्रह्मोस मिसाइल जैसे कई रक्षा उपकरणों में उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत विदेश से आईआर डिटेक्टरों की 5,000 से अधिक यूनिट आयात करता है। आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना के बाद प्रतिवर्ष आईआर डिटेक्टरों की 1,000 यूनिट का निर्माण किया जाएगा। भविष्य में इसका विस्तार कर 10,000 यूनिट का निर्माण करने का लक्ष्य है। इस केंद्र में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और मल्टीसेंसर सर्विलांस सिस्टम को भी रक्षा उपकरणों के तौर पर विकसित किया जाएगा।
नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना से 150 इंजीनियरों और 500 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आईआरडीई) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला है, जो आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी पर कार्य करती है। इसका मुख्य उद्देश्य उन्नत नाइट विजन डिवाइस, थर्मल इमेजर्स और लेजर आधारित उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना है। यह केंद्र ब्रह्मोस मिसाइल समेत कई रक्षा उपकरणों के लिए आईआर डिटेक्टरों का उत्पादन करेगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
--- राष्ट्र प्रेस
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