क्या मध्य प्रदेश में एसआईआर में सरकारी कर्मचारी की लापरवाही का मामला गंभीर है?
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर अभियान मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही से चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
- कड़ी कार्रवाई से कर्मचारियों को जिम्मेदारी का एहसास होगा।
- बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय की भूमिका पर सवाल उठते हैं।
- मतदाता सूची की सटीकता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
भोपाल, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में विधानसभा क्षेत्र 154 गोविंदपुरा के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दौरान एक सरकारी कर्मचारी की लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है। कार्यालय निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय (बीयू) भोपाल के सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी प्रशांत दुबे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा है।
सहायक कर्मचारी प्रशांत दुबे को मतदान केंद्र संख्या 250 पर बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने ड्यूटी से पूरी तरह किनारा कर लिया।
गोविंदपुरा क्षेत्र के मतदान केंद्र 250 पर प्रशांत दुबे को बीएलओ नियुक्त किया गया था। अधिकारियों ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिए गए निर्देशों के तहत कार्यभार सौंपा, लेकिन दुबे ने न तो फोन रिसीव किया और न ही मैसेज का जवाब दिया। अंकिता (एईआरओ एवं नायब तहसीलदार) ने भी उन्हें फोन कर सूचित किया, किंतु दुबे अपने आबंटित केंद्र पर उपस्थित ही नहीं हुए।
निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ने कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत दर्ज की है। पत्र में कहा गया है, "वर्तमान में एसआईआर अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण है। दुबे की लापरवाही से मतदाता सूची के पुनरीक्षण में बाधा आई है।"
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 के तहत उनके खिलाफ सेवा से पृथक करने की कार्यवाही प्रस्तावित की गई है। कलेक्टर कार्यालय ने मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय प्रशासन को भी इसकी सूचना भेजी गई है। बीयू भोपाल, जो 1970 में स्थापित एक प्रमुख राज्य विश्वविद्यालय है, हाल ही में भर्ती घोटाले की जांच के दायरे में रहा है। पिछले साल एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत पर 162 क्लास-3 कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति का खुलासा हुआ था, जिसमें सहायक ग्रेड-3 पद भी शामिल थे।
बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के निर्देश पर 4 नवंबर 2025 से शुरू हुए एसआईआर अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और फर्जी वोटरों की सफाई करना है। यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।