क्या भाषा किसी की अमानत नहीं है? महामंडलेश्वर मां पवित्रा नंद गिरि का बयान

सारांश
Key Takeaways
- भाषा किसी की संपत्ति नहीं है।
- गुंडागर्दी को सहन नहीं किया जाएगा।
- कांवड़ यात्रा पर प्रशासन सक्रिय है।
- राजनीतिक बयानबाजी की असली वजहें समझनी चाहिए।
- भाषा का सम्मान आवश्यक है।
प्रयागराज, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा के बीच का विवाद तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर राजनीतिज्ञों के बीच तर्क-वितर्क जारी हैं। हाल ही में, किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर मां पवित्रा नंद गिरि ने महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
महामंडलेश्वर मां पवित्रा नंद गिरि ने सोमवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "हम मराठी हैं, हम महाराष्ट्रीयन हैं। हम पूरे देश में यात्रा करते हैं। जब हम बिहार या यूपी जाते हैं, यदि मैं प्रयागराज में जाकर वहां की भाषा नहीं बोल पाती हूं और वहां के लोग मुझे नुकसान पहुंचाते हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? मुझे न्याय कौन देगा?"
उन्होंने आगे कहा कि ठाकरे बार-बार केवल मराठी भाषा की बात करते हैं। सभी लोग मराठी नहीं सीख सकते, लेकिन लोग प्रयास करते हैं। वे कई सालों तक मुंबई में रहीं और वे खुद महाराष्ट्र के विदर्भ की निवासी हैं। जो गुंडागर्दी चल रही है, यह अब और नहीं सहा जाएगा। इसका बुरा असर उन पर और उनकी पार्टी पर पड़ेगा। वे लोग अपने कैमरे के सामने आने के लिए इस तरह के बयान देते हैं और गुंडागर्दी करते हैं।
महामंडलेश्वर मां पवित्रा नंद गिरि ने स्पष्ट किया कि भाषा किसी की अमानत नहीं है। हम अपनी इच्छा से अपनी-अपनी भाषा बोलते हैं। हम अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, तमिल बोलते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग मराठी के लिए लड़ाई कर रहे हैं और गुंडागर्दी कर रहे हैं, वे असल में गुंडे हैं।
उन्होंने कांवड़ यात्रा को लेकर कहा कि सरकार जो भी कांवड़ यात्रा के लिए काम कर रही है, वह सही है। प्रशासन भी सक्रिय है। जब कांवड़ यात्रा शुरू होगी, तो वे खुद देखेंगे जो इस पर सवाल उठा रहे हैं। नेम प्लेट कोई मुद्दा नहीं है। कुछ लोग इसे जबरदस्ती मुद्दा बना रहे हैं।