क्या महापरिनिर्वाण दिवस पर मनोज सिन्हा और ममता बनर्जी ने अंबेडकर को नमन किया?

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क्या महापरिनिर्वाण दिवस पर मनोज सिन्हा और ममता बनर्जी ने अंबेडकर को नमन किया?

सारांश

महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. भीमराव अंबेडकर को नमन करने के लिए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। जानें इस मौके पर उनके संदेश में क्या खास रहा और अंबेडकर के योगदान का महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • महापरिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर को मनाया जाता है।
  • डॉ. अंबेडकर का योगदान संविधान निर्माण में अमूल्य है।
  • समावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण का संकल्प लेना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर पूरा देश भारतीय संविधान के निर्माता, महान समाज सुधारक और न्याय के प्रतीक डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। इस पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल कार्यालय और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने सोशल मीडिया संदेशों के माध्यम से बाबासाहेब को नमन किया।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर जारी संदेश में कहा गया कि, 'बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को महापरिनिर्वाण दिवस पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।' एलजी कार्यालय ने यह भी कहा कि आज के दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम एक समावेशी, प्रगतिशील और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए आगे बढ़ेंगे, जिसका सपना अंबेडकर ने देखा था।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी डॉ. अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार, अद्वितीय चिंतक और महान समाज सुधारक डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण में अंबेडकर का योगदान अमर है और लोकतंत्र की मार्गदर्शक रोशनी के रूप में उनके विचार और सिद्धांत आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

ममता बनर्जी ने 'एक्स' पोस्ट में यह भी लिखा कि डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा के लिए बंगाल विधानसभा द्वारा चुना गया था। यह बंगाल के लिए गर्व की बात है कि उसने बाबासाहेब के ऐतिहासिक कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सीएम ममता ने आगे लिखा कि राज्य उनकी विचारधारा और संविधान में शामिल मूल्यों की रक्षा और मजबूती के लिए प्रतिबद्ध है। अंत में उन्होंने 'जय हिंद, जय बांग्ला' के साथ अपना संदेश समाप्त किया।

हर साल 6 दिसंबर का दिन भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1956 में इसी दिन उनकी मृत्यु हुई थी।

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1956 में हिंदू धर्म की कुरीतियों से दुखी होकर बौद्ध धर्म अपना लिया था। बौद्ध धर्म में परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु के बाद पूर्ण मुक्ति, यानी इच्छाओं और मोहमाया से पूरी तरह मुक्त होना।

Point of View

जब हम महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हैं। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें उनके दिखाए रास्ते पर चलकर एक समावेशी और प्रगतिशील समाज का निर्माण करना है।
NationPress
06/12/2025

Frequently Asked Questions

महापरिनिर्वाण दिवस कब मनाया जाता है?
महापरिनिर्वाण दिवस हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाता है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1956 में हिंदू धर्म की कुरीतियों से दुखी होकर बौद्ध धर्म अपनाया।
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