क्या महाराष्ट्र की आर्थिक हालत बद से बदतर हो गई है? नाना पटोले का बयान

सारांश
Key Takeaways
- महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है।
- महायुति सरकार पर आरोप लगाया गया है।
- भारत-पाकिस्तान मैच पर बड़ा सट्टा लगा है।
- युवाओं के हितों की अनदेखी की जा रही है।
- राजनीति में उम्र के दोहरे मानक हैं।
मुंबई, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को यह कहा कि महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। इसका मुख्य कारण महायुति सरकार को ठहराया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में आर्थिक हालात बिगड़ चुके हैं, लेकिन दुख की बात यह है कि सरकार इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रही है। महायुति गठबंधन में तीन अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल शामिल हैं, जिससे इस सरकार में तालमेल की कमी हो गई है। इस स्थिति ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को और भी खराब कर दिया है।
नाना पटोले ने भारत-पाकिस्तान मैच के संदर्भ में कहा कि इस पर 12 हजार करोड़ रुपये का सट्टा लगा हुआ है। यह आरोप है कि इन पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तानी आतंकियों को समर्थन देने के लिए किया जा सकता है। संभवतः ‘सामना’ ने इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी प्राप्त की होगी, इसलिए उन्होंने यह मुद्दा उठाया है। अब यही लोग इस पर उत्तर देंगे।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ रोष बढ़ गया था। लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी कीमत पर भारत और पाकिस्तान का मैच नहीं होना चाहिए, लेकिन यह दुखद है कि केवल पैसों के लिए यह मैच कराया गया। देश की जनता इसे कभी नहीं भूलेगी। इस मैच के नाम पर करोड़ों का सट्टा लगाया गया।
17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन है। इस पर नाना पटोले ने कहा कि हम उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देंगे। निश्चित रूप से हमारे नेता राहुल गांधी भी उन्हें बधाई देंगे, लेकिन अब उम्र के बारे में भी बात कर लेते हैं।
उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना में युवाओं को महज 24 साल की उम्र में रिटायर किया जा रहा है। वहीं, राजनीति में लोग 75 साल तक सक्रिय रहते हैं। इस दोहरे मानक को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
नाना पटोले ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को राजनीति से रिटायर होने का सुझाव नहीं देंगे, लेकिन यह विचारणीय है। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि भारत युवाओं का देश है। यहां युवाओं के हितों की बात होनी चाहिए, लेकिन यह दुखद है कि युवाओं के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।