क्या मैथिली ठाकुर हैं बिहार चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाली युवा गायिका?

सारांश
Key Takeaways
- मैथिली ठाकुर की पहचान एक युवा और प्रतिभाशाली लोक गायिका के रूप में है।
- उनका सफर रियलिटी शो से शुरू हुआ और अब वह BJP में शामिल हो गई हैं।
- वह भक्ति और लोक संगीत में माहिर हैं।
- उनके गाने लाखों लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
- उन्होंने फिल्म उद्योग का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
मुंबई, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव से पहले, 23 साल की मैथिली ठाकुर ने मंगलवार को बीजेपी में प्रवेश किया। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। यह चर्चा की जा रही है कि वह अलीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का इरादा रखती हैं।
मैथिली ठाकुर के बीजेपी में शामिल होने के बाद से लोग उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं।
मैथिली ठाकुर एक प्रसिद्ध लोक गायिका हैं। उनका जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में हुआ। उनके पिता, रमेश ठाकुर, एक संगीत शिक्षक हैं, और उनके माता-पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए। यहाँ पर मैथिली ने अपनी शिक्षा पूरी की।
उनकी माँ, पूजा ठाकुर, एक हाउसवाइफ हैं। मैथिली के दो भाई हैं, ऋषभ और अयाची। बचपन से ही मैथिली को गाने का शौक था। उन्होंने अपने पिता और दादा से संगीत की शिक्षा ली और छोटी उम्र में ही शास्त्रीय और मैथिली लोक संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था।
मैथिली का सफर आसान नहीं था। उन्हें रियलिटी शो ‘सारेगामापा लिटिल चैंप्स’ और ‘इंडियन आइडल जूनियर’ में ठुकराया गया था। हालांकि, 2017 में उन्होंने ‘द राइजिंग स्टार’ शो में फर्स्ट रनर-अप का खिताब जीता। उस समय वह 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं।
इसके बाद, उनके गाने सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से लोकप्रिय हो गए। वह अधिकतर भजन गाती हैं और कई भाषाओं में लोकगीत प्रस्तुत करती हैं। उनके भगवान राम के भक्ति गीत विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
उनके गाने के वीडियो में लाखों व्यूज आते हैं। पिछले साल, नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के हाथों सम्मानित किया गया था, और इस अवसर पर मैथिली ने उनके साथ सेल्फी लेते हुए वीडियो साझा किया। इंस्टाग्राम पर उन्हें 6.3 मिलियन लोग फॉलो करते हैं।
मैथिली ठाकुर देश और विदेश में अपने शो करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, वह एक शो के लिए 5-7 लाख रुपए फीस लेती हैं। कहा जाता है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद, उन्होंने फिल्म उद्योग का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है, इसलिए अब वह फिल्मी गाने नहीं गाती हैं।