क्या पीएम मोदी का अयोध्या से विशेष लगाव है, राम मंदिर में ध्वजारोहण का कार्यक्रम क्यों महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का अयोध्या से गहरा लगाव है।
- राम मंदिर का ध्वजारोहण एक ऐतिहासिक क्षण है।
- हिंदू धर्म का संदेश वसुधैव कुटुंबकम है।
- ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की राजनीति पर सवाल उठ रहे हैं।
- बंगाल का हिंदू समाज एकजुट हो चुका है।
मुंबई, २२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी २५ नवंबर को प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के शिखर पर भगवा विजय ध्वज फहराएंगे। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने बताया कि अयोध्या के प्रति पीएम मोदी का विशेष लगाव रहा है। उनका अयोध्या में जाना स्वागतयोग्य है। टीएमसी नेता हुमायूं कबीर के बयान पर उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी तुष्टीकरण की राजनीति को चरम स्तर पर ले जा रही हैं।
श्रीराज नायर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि राम मंदिर का निर्माण शुरू होने पर भी प्रधानमंत्री अयोध्या आए थे। अब ध्वजारोहण कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि उनका इस प्रक्रिया से गहरा जुड़ाव है। प्रधानमंत्री के कार्यकाल में ही अदालत का ऐतिहासिक निर्णय आया और मंदिर का भव्य निर्माण संभव हुआ। भूमि पूजन से लेकर संपूर्ण मंदिर निर्माण तक प्रधानमंत्री मोदी का अपार सहयोग और सक्रिय भूमिका रही है। इसलिए यह स्वागत योग्य है कि प्रधानमंत्री इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 'हिंदू खत्म तो दुनिया खत्म' वाले बयान का नायर ने समर्थन किया और कहा कि पृथ्वी पर हिंदू धर्म ही एकमात्र धर्म है जो वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देता है। अन्य धर्म राजनीतिक उद्देश्यों से जुड़े रहे हैं। हिंदू धर्म आध्यात्म, मोक्ष और सभी मानवों को समान दृष्टि से देखने की सीख देता है।
टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ बनवाने के ऐलान पर नायर ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए नए हथकंडे अपना रही हैं। पश्चिम बंगाल का हिंदू समाज अब एकजुट हो चुका है और ऐसे दल को वोट देगा जो हिंदू हितों की बात करेगा।