क्या मुंबई में विपक्ष ने बिना अनुमति प्रदर्शन कर वोट चोरी के मुद्दे को उठाया?
सारांश
Key Takeaways
- वोट चोरी का मुद्दा गंभीर बनता जा रहा है।
- विपक्ष ने चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश की।
- बिना अनुमति प्रदर्शन ने कानून व्यवस्था को चुनौती दी।
- स्थानीय निकाय चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठे।
- राजनीतिक दलों के बीच एकता की आवश्यकता।
मुंबई, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में वोट चोरी के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने एक प्रभावशाली प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन दक्षिण मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के सामने बीएमसी मुख्यालय के पास आयोजित किया गया था।
इस विरोध-प्रदर्शन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे, कांग्रेस नेता बाला साहेब थोरात और सुप्रिया सुले सहित कई विपक्षी दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए।
हालांकि, इस प्रदर्शन के लिए मुंबई पुलिस से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस ने इसे बिना अनुमति का सार्वजनिक जमावड़ा करार दिया और इसे कानून व्यवस्था के उल्लंघन की श्रेणी में रखा।
इस संबंध में, मुंबई पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की। एक बयान में कहा गया कि बिना अनुमति के सार्वजनिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा कर प्रदर्शन किया गया, जिससे यातायात और सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई। यह मामला आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है।
इससे पहले, अक्टूबर में महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इसी मुद्दे पर मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करते हुए वोट चोरी के आरोपों की जांच की मांग की थी।
विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हों।