क्या एनसीईआरटी की किताब में प्रकाशित नक्शे पर विवाद है? जैसलमेर के राजा ने शौर्य को धूमिल करने का आरोप लगाया

सारांश
Key Takeaways
- एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में त्रुटियाँ
- जैसलमेर का ऐतिहासिक महत्व
- राजा का विरोध
- शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी
- संप्रभुता और गौरव
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एनसीईआरटी की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के आरोप लगे हैं। यह मुद्दा राजस्थान की प्रतिष्ठित जैसलमेर रियासत से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर रियासत के राजा चैतन्य राज सिंह ने इस विषय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
राजा चैतन्य राज सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से एनसीईआरटी और शिक्षा मंत्रालय का ध्यान इस त्रुटि की ओर खींचा है।
चैतन्य राज सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा, "कक्षा 8 की एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक (यूनिट 3, पृष्ठ संख्या 71) में प्रदर्शित मानचित्र में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गंभीर रूप से आपत्तिजनक है। इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्यविहीन जानकारी न केवल एनसीईआरटी जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती है। यह केवल एक पाठ्यपुस्तक की गलती नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है।"
चैतन्य राज सिंह ने ऐतिहासिक साक्ष्यों का उल्लेख करते हुए आगे कहा, "जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी कोई दखल नहीं रहा।"
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से उन्होंने निवेदन किया कि वे इस दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित सामग्री को तुरंत पाठ्यक्रम से हटवाएं। उन्होंने लिखा, "संपूर्ण जैसलमेर परिवार की ओर से मैं आपका ध्यान इस ज्वलंत विषय की ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि एनसीईआरटी द्वारा की गई इस प्रकार की त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित प्रस्तुति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए। यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है। इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।