क्या एनडीए की सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है? मंत्री और उप मुख्यमंत्री आमने-सामने : शक्ति सिंह यादव

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए सरकार का असली चेहरा सामने आया है।
- उप मुख्यमंत्री और मंत्री के बीच संघर्ष का मतलब है कि भ्रष्टाचार गहरा है।
- बिहार के लोग सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर चिंतित हैं।
- नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
पटना, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि एनडीए सरकार का असली चेहरा अब सभी के सामने आ चुका है। उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के बीच विधायक दल की बैठक में जिस प्रकार तू-तू, मैं-मैं और हाथापाई की स्थिति उत्पन्न हुई, उसने स्पष्ट कर दिया है कि पूरी एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के काले खेल में लिप्त है।
उन्होंने कहा, “ग्लोबल टेंडर के नाम पर ग्रामीण कार्यक्रमों में हो रही लूट पर सवाल उठाने पर विजय सिन्हा और अशोक चौधरी आमने-सामने आ गए। मंत्री चौधरी ने पलटवार करते हुए खदानों की लूट का मुद्दा भी उठाया। यानि, भ्रष्टाचार और घोटालों की मलाई बांटने को लेकर अब मंत्रियों के बीच खुली लड़ाई छिड़ चुकी है।”
प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, “बैठक में मुख्यमंत्री मूकदर्शक बने रहे। सवाल यह है कि क्या यही सुशासन है? बिहार के लोग देख रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी और जदयू के नेता भ्रष्टाचार में बंटवारे को लेकर किस हद तक गिर चुके हैं। यह सरकार नैतिक रूप से पूरी तरह विफल है।”
उन्होंने कहा, “14 करोड़ बिहारियों का विश्वास इस सरकार ने तोड़ा है। यह सरकार अब एक पल भी बिहार में रहने के योग्य नहीं है। भ्रष्टाचार ने ब्लॉक से लेकर सचिवालय और मंत्रिमंडल तक सबको निगल लिया है। अब तो हाल यह है कि खुद मंत्री और उप मुख्यमंत्री पैसे की बंदरबांट को लेकर लड़ रहे हैं।”
शक्ति सिंह यादव ने आगे कहा, “भ्रष्टाचार की जड़ इतनी गहरी हो गई है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह अचेत और असहाय हो चुके हैं। बिहार को एनडीए गठबंधन से मुक्ति दिलाना बेहद जरूरी है।”
दरअसल, सोमवार को एनडीए की बैठक में उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी के बीच बहस की बात सामने आई है। कहा जा रहा है कि इस बैठक में उप मुख्यमंत्री सिन्हा ने आरोप लगाया कि जदयू कोटे के एक मंत्री अशोक चौधरी घूम-घूमकर अपने विभाग की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन कर रहे हैं लेकिन उसमें गठबंधन के विधायकों को नहीं बुलाया जाता है। इस पर बैठक में हंगामा हो गया।