क्या नित्यानंद राय ने विपक्षी गठबंधन को हकीकत का जवाब देने की चुनौती दी?

सारांश
Key Takeaways
- नित्यानंद राय का पत्र तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती है।
- बिहार की जनता की हकीकत को समझने की जरूरत है।
- लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है।
- राजद शासनकाल की धांधली पर सवाल उठाए गए हैं।
- विदेशी घुसपैठियों के मताधिकार पर चर्चा की गई है।
पटना, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा के नेता नित्यानंद राय ने बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को एक खुले पत्र के माध्यम से कहा कि इंडी गठबंधन को लोगों को गुमराह करने के बजाय वास्तविकता का उत्तर देना चाहिए। पत्र में उन्होंने राजद शासनकाल को भी याद दिलाते हुए कई सवाल उठाए।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि स्वतंत्रता दिवस पर बिहार की जनता को गुमराह करने की कोशिश न करें। बिहार के लोग आपकी हकीकत को अच्छी तरह समझते हैं।
नित्यानंद राय ने तेजस्वी यादव को लिखा, "आप जिस लोकतंत्र की बात करते हैं, उसका गवाह बिहार के 13 करोड़ लोग हैं जब लालू यादव ने लोकतंत्र और चुनाव के नाम पर मत पेटियों को लूटवाने का काम किया। उस समय गुंडाराज के माध्यम से लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया था।"
उन्होंने आगे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन राहुल गांधी से पूरा देश जानना चाहता है कि 1951-52 में हुए पहले चुनाव से लेकर कांग्रेस के शासनकाल में हुए चुनावों में किस तरह की धांधली हुई है।
केंद्रीय मंत्री ने पत्र के अंत में सवाल पूछा कि क्या विदेशी घुसपैठियों, जैसे रोहिंग्या बांग्लादेशियों, को देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार है? अगर हाँ, तो इसका उत्तर दें कि क्यों?
उन्होंने कहा कि एसआईआर के माध्यम से विदेशी घुसपैठियों के वोट को काटा जा रहा है, तो इसका विरोध क्यों? बिहार के 13 करोड़ लोग और देश के 140 करोड़ नागरिक इसका उत्तर चाहते हैं।