क्या पद्मनाभ द्वादशी पर भगवान विष्णु के 'पद्मनाभ' स्वरूप की पूजा से सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- पद्मनाभ द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष महत्व रखती है।
- शनि प्रदोष व्रत से ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है।
- इस दिन का व्रत धन-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए लाभदायक है।
- इस दिन पूजा के दौरान तुलसी और कमल का विशेष उपयोग किया जाता है।
- यह दिन व्यवसाय और निवेश के लिए शुभ माना जाता है।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को शनिवार का दिन है। इस दिन पद्मनाभ द्वादशी और शनि प्रदोष व्रत है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
इस दिन द्वादशी तिथि का समय 3 अक्टूबर को शाम के 6 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 4 अक्टूबर को शाम के 5 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। इसके बाद त्रयोदशी शुरू हो जाएगी, जिस वजह से इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी है।
शनि प्रदोष व्रत को दक्षिण भारत में प्रदोषम कहते हैं। यह व्रत चंद्र मास की दोनों त्रयोदशी को किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन के अनुसार, इसे सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष कहा जाता है, जब यह क्रमशः सोमवार, मंगलवार और शनिवार को पड़ता है। यह व्रत नाना प्रकार के संकट और बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं, इसलिए यह व्रत शनि ग्रह से संबंधित दोषों, कालसर्प दोष और पितृ दोष के निवारण के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा से सभी ग्रह दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है और शनि देव की कृपा से कर्मबन्धन काटने में मदद मिलती है।
इस दिन सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा की जाती है और शनि मंत्रों के जाप और तिल, तेल व दान-पुण्य करने का प्रावधान है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शनि की दशा से पीड़ित हैं।
इसी के साथ ही इस दिन पद्मनाभ द्वादशी भी है। पुराणों के अनुसार, पद्मनाभ द्वादशी पापांकुशा एकादशी के अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्माजी का जन्म हुआ था। इस व्रत को करने से धन-संपदा, सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन नया व्यवसाय शुरू करने, निवेश करने या कोई महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साधक इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं, जिसमें तुलसी पत्र, कमल पुष्प और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि यह व्रत जीवन की बाधाओं को दूर कर समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।