क्या पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी?

Click to start listening
क्या पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी?

सारांश

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। इस विधेयक को दोनों सदनों में पारित किया गया था, जिसमें कई विवादों का सामना करना पड़ा। क्या यह संशोधन पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने में सक्षम होगा? जानें सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • आसिफ अली जरदारी ने 27वें संविधान संशोधन पर हस्ताक्षर किए।
  • सीनेट में विधेयक को दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया।
  • विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया।
  • प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख की नियुक्ति में बदलाव होगा।
  • मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल संशोधित किया जाएगा।

इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ, 27वां संविधान संशोधन विधेयक अब संविधान का हिस्सा बन गया है। विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बीच सीनेट ने विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक को दूसरी बार पारित कर दिया।

परिणाम की घोषणा करते हुए, सीनेट के अध्यक्ष यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि विधेयक के पक्ष में 64 और विरोध में चार मत पड़े, इसलिए यह प्रस्ताव सीनेट के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित हो गया है।

इससे पहले, संसद का माहौल काफी तनाव भरा रहा। सांसदों ने विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर एक-एक खंड पर मतदान किया, जबकि विपक्षी सीनेटरों ने "ना मंजूर" (अस्वीकार्य) के नारे लगाए, जिससे गिलानी को सदन में बार-बार शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।

कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने एक दिन पहले नेशनल असेंबली की ओर से कुछ संशोधनों के साथ पारित किए जाने के बाद इस विधेयक को उच्च सदन में पुनः पेश किया। इस विधेयक को इस सप्ताह की शुरुआत में सीनेट द्वारा एक बार पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी, और नए बदलावों के लिए इसमें नए सिरे से मतदान की आवश्यकता थी।

इससे पहले, नेशनल असेंबली ने 27वें संविधान संशोधन को दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया था। कुल 234 सदस्यों ने इसके पक्ष में और चार ने इसके विरुद्ध मतदान किया, जबकि विपक्ष ने कार्यवाही का बहिष्कार किया।

इस संशोधन के बाद प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति करेंगे। इसका एक प्रस्ताव काफी चर्चा में था जिसके मुताबिक ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद 27 नवंबर, 2025 को समाप्त कर दिया जाएगा। संशोधन के तहत, पाकिस्तान के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने कार्यकाल की समाप्ति तक इस पद पर बने रहेंगे। उसके बाद, यह पद सर्वोच्च न्यायालय या संघीय संवैधानिक न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को सौंप दिया जाएगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान में संविधान संशोधन के पीछे की राजनीति और विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएँ महत्वपूर्ण हैं। यह संशोधन न केवल वर्तमान राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भविष्य में भी इसके परिणाम सामने आएंगे।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

27वें संविधान संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री की सलाह पर सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया को संशोधित करना है।
विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध क्यों किया?
विपक्ष ने इस विधेयक को अस्वीकार्य मानते हुए इसका विरोध किया क्योंकि इसे संसद में पारित करने की प्रक्रिया विवादास्पद थी।