क्या उन्नाव रेप केस में सेंगर की सजा सस्पेंड करने के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने सेंगर की सजा सस्पेंड करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
- जमानत के आदेश ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर गलत संदेश भेजा है।
- दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक जमानत दी थी।
- उन्नाव रेप केस ने पूरे देश में गुस्सा पैदा किया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया था।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच सोमवार को सीबीआई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसने उन्नाव रेप केस में भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा को सस्पेंड करते हुए उन्हें जमानत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी तथा ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की वेकेशन बेंच सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।
सीबीआई ने 23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, जिसमें सेंगर की अपील के लंबित रहने तक उनकी सजा को सस्पेंड करने की याचिका मंजूर की गई थी।
इससे पहले, यह जानकारी सामने आई थी कि सीबीआई और पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का इरादा जताया था।
पीड़िता के परिजनों ने महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सेंगर की सजा निलंबित करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जमानत के इस आदेश ने लोगों का भरोसा हिला दिया है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में गलत संदेश भेजा है।
दिल्ली हाई कोर्ट में सीबीआई ने अपराध की गंभीरता और इसमें शामिल संभावित जोखिमों को पेश करते हुए सेंगर की याचिका का कड़ा विरोध किया था।
बता दें कि जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उनकी अपील लंबित रहने तक उन्हें कड़ी शर्तों के साथ सशर्त जमानत दी थी।
उन्नाव रेप केस ने पूरे देश में गुस्सा पैदा कर दिया था। दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को एक नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप का दोषी ठहराया था और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही, 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस घटना से जुड़े सभी मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था और निर्देश दिया था कि ट्रायल रोजाना के आधार पर किया जाए।