क्या भारतीय शेयर बाजार हल्की तेजी के साथ सपाट खुला है?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार में हल्की बढ़त देखने को मिली है।
- मेटल और आईटी शेयरों ने बढ़त का नेतृत्व किया।
- निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।
- 2026 के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
- बड़ी कंपनियों में निवेश का अवसर।
मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। घरेलू और वैश्विक संकेतों में नरमी के बीच, सोमवार को भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक हल्की बढ़त के साथ सपाट खुले। मेटल और आईटी शेयरों ने बढ़त का नेतृत्व किया।
शुरुआती सत्र में, जैसे ही खबर लिखी गई (करीब 9.22 बजे), 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 20 अंक यानी 0.02 प्रतिशत की मामूली उछाल के साथ 85,056 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं, एनएसई निफ्टी 13.30 अंकों यानी 0.05 प्रतिशत की उछाल के साथ 26,058 पर ट्रेड करता नजर आया।
आज सेंसेक्स के टॉप गेनर्स में टाटा स्टील, टीएमपीवी, बीईएल, इटरनल, कोटक महिंद्रा बैंक, इंफोसिस और एनटीपीसी शामिल थे, जिनमें 1.12 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई। दूसरी ओर, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और एचसीएल टेक के शेयरों में गिरावट रही।
व्यापक बाजार में, निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 0.07 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो निफ्टी मेटल सबसे ज्यादा 1.1 प्रतिशत चढ़ा। इसके बाद आईटी और पीएसयू बैंक सेक्टर में भी बढ़त रही। दूसरी ओर, निफ्टी मीडिया, एफएमसीजी और रियल्टी सेक्टर के शेयरों में कमजोरी देखने को मिली।
आज से इस साल 2025 के शेष बचे आखिरी तीन ट्रेडिंग सेशन शुरू हो रहे हैं। वहीं, घरेलू मोर्चे पर आज सरकार नवंबर महीने के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़े जारी करेगी, जिस पर निवेशकों की नजर रहेगी।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि साल 2025 की सबसे खास बात यह रही है कि भारतीय शेयर बाजार ज्यादातर विकसित और उभरते हुए देशों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन करता दिखा, लेकिन 2026 में इसमें बदलाव आने की उम्मीद है, क्योंकि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। देश की अर्थव्यवस्था अच्छी रफ्तार से बढ़ रही है और वित्तीय ढांचा भी स्थिर है।
उन्होंने कहा कि शेयर बाजार के लिए सबसे अहम चीज कंपनियों की कमाई (अर्निंग्स) में सुधार की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2026 के तीसरी तिमाही से दिखाई दे सकता है।
हालांकि ये सभी बातें सकारात्मक हैं, फिर भी इतनी जल्दी बाजार में तेजी आने के लिए ये काफी नहीं हैं। बाजार में मजबूत उछाल के लिए किसी बड़े ट्रिगर की जरूरत होगी, जैसे अमेरिका और भारत के बीच कोई फायदेमंद ट्रेड डील।
उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल इस पर तस्वीर साफ नहीं है कि ऐसा कब होगा। इसलिए निकट भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ स्थिरता (कंसोलिडेशन) बनी रह सकती है। निवेशक इस समय का इस्तेमाल धीरे-धीरे अच्छी और मजबूत कंपनियों के शेयर खरीदने में कर सकते हैं, खासतौर पर बड़ी कंपनियों (लार्जकैप) पर ध्यान देना बेहतर रहेगा।