क्या पाकिस्तान में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हिंसक हो गया?

सारांश
Key Takeaways
- लाहौर में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसा हुई।
- टीएलपी ने 'गाजा मार्च' का आयोजन किया था।
- प्रदर्शन में आंसू गैस और गोलियों का प्रयोग किया गया।
- सरकार की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई।
- स्थानीय जनजीवन प्रभावित हुआ, स्कूल और कॉलेज बंद हैं।
इस्लामाबाद, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के लाहौर शहर में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन और घातक झड़पें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। फिलिस्तीन समर्थक कट्टरपंथी इस्लामी समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और पाकिस्तानी पुलिस के बीच संघर्ष हुआ जब टीएलपी को राजधानी की ओर मार्च करने से रोकने की कोशिश की गई।
प्रदर्शनकारियों ने इस प्रदर्शन का नाम 'गाजा मार्च' रखा और इजरायली बलों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ फिलिस्तीनियों के समर्थन में एकजुट होने का प्रयास किया। उनकी योजना अमेरिकी दूतावास के निकट प्रदर्शन करने की थी। लेकिन जब पुलिस ने उन्हें रोका, तो हिंसक झड़पें भड़क उठीं, जिसमें आंसू गैस के गोले दागे गए और गोलियां चलाई गईं।
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, टीएलपी ने बताया है कि पिछले गुरुवार से अब तक उनके दो समर्थक मारे गए हैं और 50 अन्य घायल हुए हैं।
हिंसा की शुरुआत गुरुवार को पंजाब प्रांत में हुई, जो तेजी से अन्य स्थानों पर फैल गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की शांति की अपील को नजरअंदाज कर दिया और एक बड़े प्रदर्शन की योजना बनाई।
जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस का सामना हुआ, तो उन्होंने पत्थरबाजी शुरू की, जिसके जवाब में पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया और फिर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं।
पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ, जो प्रधानमंत्री की भतीजी हैं, की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।
टीएलपी प्रमुख साद रिजवी ने इस्लामाबाद तक मार्च का आह्वान किया था और अपने समर्थकों से कहा, 'मैं इस लंबे मार्च में सबसे आगे चलूंगा। गिरफ्तारी कोई समस्या नहीं है, गोलियां कोई समस्या नहीं हैं, गोले कोई समस्या नहीं हैं - शहादत हमारी नियति है।'
टीएलपी समर्थकों और पुलिस के बीच की हिंसक झड़पों ने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया, जिससे कई सेवाओं में बाधा आई। लाहौर में शुक्रवार से स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद हैं।
प्रशासन ने रावलपिंडी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं।
लाहौर, पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 350 किलोमीटर (210 मील) दूर स्थित है।
अपने कट्टरपंथी चरित्र के लिए कुख्यात टीएलपी समूह ने सोशल मीडिया पर भी आलोचना का सामना किया। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौते के बावजूद सड़कों पर हिंसा भड़काने के लिए उनकी निंदा की।
हालांकि, टीएलपी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि गाजा में इजरायल के अत्याचारों के खिलाफ उनके मार्च शुरू होने से पहले ही सरकार ने सड़कें अवरुद्ध करके उन पर ज्यादती की।