क्या पाकिस्तानी हवाई हमलों में बलूच नागरिकों की जान गई?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए हवाई हमले में तीन नागरिकों की मृत्यु हुई।
- हमले में पांच अन्य लोग घायल हुए, जिनमें एक चार वर्षीय बच्चा भी शामिल है।
- मानवाधिकार संगठनों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है।
- इंटरनेट बंद होने से स्थानीय लोगों की आवाज दबाई जा रही है।
- यह घटना बलूचिस्तान में जारी सामूहिक दंड नीति का हिस्सा है।
क्वेटा, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक प्रसिद्ध बलूच मानवाधिकार संगठन ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान के जेहरी क्षेत्र में आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाकर बमबारी की। इस हमले में दो महिलाओं समेत तीन लोग मारे गए और चार वर्षीय बच्चे सहित पांच अन्य घायल हो गए।
बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने कहा कि पाकिस्तान की सेना ने बुधवार रात खुजदार जिले के जेहरी में तेरासानी (काजिब) इलाके में हवाई और ड्रोन हमले किए, जिसमें तीन नागरिकपांच लोग घायल हो गए।
बीवाईसी ने एक बयान में कहा, "नागरिकों के खिलाफ जेट लड़ाकू विमानों और ड्रोन का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन है। यह एक एकल घटना नहीं है: रिपोर्टों के अनुसार, पिछले दो महीनों में जेहरी में पाकिस्तानी सेना के हवाई हमलों और ड्रोन हमलों की कम से कम तीन घटनाएं हुई हैं।"
स्थानीय निवासियों के अनुसार, मानवाधिकार संगठन ने कहा कि ड्रोन लगातार इस क्षेत्र में मंडरा रहे हैं, जिससे खौफ का वातावरण बना हुआ है, और कई परिवार लगातार हमलों के खतरे में हैं।
बीवाईसी के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के मीडिया विभाग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने पीड़ितों को 'विद्रोही' कहकर हत्याओं को उचित ठहराने की कोशिश की, जिसे मानवाधिकार संगठन ने बलूच लोगों पर राज्य द्वारा किए गए अत्याचारों को छिपाने के लिए 'एक सामान्य बयान' बताया।
बीवाईसी ने कहा, "यह घटना बलूचिस्तान में नागरिकों के खिलाफ जारी सामूहिक दंड नीति का हिस्सा है। महीनों से, जेहरी समेत पूरे खुजदार जिले में इंटरनेट पूरी तरह से बंद है। जानबूझकर लगाई गई यह रोक बाहरी दुनिया को बलूचिस्तान में चल रहे मानव संकट के बारे में जानने से रोकती है।"
इसमें आगे कहा गया, "स्वतंत्र मीडिया की अनुपस्थिति पाकिस्तानी सरकार को बेखौफ होकर अत्याचार करने और बचे हुए लोगों और पीड़ितों के परिवारों की आवाज दबाने का मौका देती है। नागरिकों को इस तरह व्यवस्थित रूप से निशाना बनाना युद्ध अपराध है और बलूच नरसंहार का हिस्सा है।"
एक अन्य मानवाधिकार संस्था, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा किया गया "स्टेट टेररिज्म" बताया और कहा कि पीड़ित आम नागरिक थे, न कि विद्रोही।
इस मानवाधिकार संस्था ने कहा, "यह हमला अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गम्भीर उल्लंघन है। इसमें जबरन गुमशुदगी, न्यायेतर हत्याएं और अब हवाई बमबारी के जरिए सामूहिक दंड देने का चलन है। खुजदार में जानबूझकर इंटरनेट बंद करके, दुनिया को इन अपराधों से अनजान रखा गया है।"
निहत्थे नागरिकों के खिलाफ लड़ाकू विमानों और ड्रोनों के उपयोग को 'युद्ध अपराध' बताते हुए, बीवीजे ने संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल से चुप्पी तोड़ने और पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों की जांच करने का आह्वान किया।