क्या पश्चिम रेलवे को मधेपुरा में बने मालगाड़ी के इंजन मिले हैं? माल ढुलाई अब होगी सस्ती और तेज!

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क्या पश्चिम रेलवे को मधेपुरा में बने मालगाड़ी के इंजन मिले हैं? माल ढुलाई अब होगी सस्ती और तेज!

सारांश

पश्चिम रेलवे ने मधेपुरा में विकसित 50 डब्ल्यूएजी-12बी इलेक्ट्रिक इंजन शामिल किए हैं, जो माल ढुलाई को सस्ता और तेज बनाएंगे। ये इंजन न केवल पर्यावरण अनुकूल हैं, बल्कि यात्रियों के लिए सुविधाजनक भी हैं। जानें कैसे ये इंजन भारतीय रेलवे की कार्यक्षमता को और बढ़ाएंगे।

Key Takeaways

  • पश्चिम रेलवे ने 50 डब्ल्यूएजी-12बी इलेक्ट्रिक इंजन शामिल किए हैं।
  • ये इंजन 12,000 हॉर्स पावर की ताकत रखते हैं।
  • माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी।
  • इनमें स्वचालित शौचालय की सुविधा है।
  • पर्यावरण अनुकूल और आधुनिक तकनीक से लैस हैं।

अहमदाबाद, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम रेलवे ने अपनी मालवाहक क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए अब तक 50 डब्ल्यूएजी-12बी इलेक्ट्रिक इंजन अपने बेड़े में शामिल कर लिए हैं।

ये अत्याधुनिक इंजन बिहार के मधेपुरा स्थित इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री में मेसर्स एल्स्टॉम और भारतीय रेल के सहयोग से विकसित किए गए हैं। डब्ल्यूएजी-12बी एक ट्विन-सेक्शन 25 केवी एसी इलेक्ट्रिक मालगाड़ी इंजन है, जो 12,000 हॉर्स पावर की ताकत रखता है। यह इंजन 6,000 टन से अधिक वजन की मालगाड़ी को आसानी से खींच सकता है।

वरिष्ठ डिविजनल मैकेनिकल इंजीनियर (डीएमई) सुमन प्रसाद गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "इस इंजन में लोको पायलट और सहायक के लिए स्वचालित शौचालय की बेहतर सुविधा जोड़ी गई है, जो पुराने इंजनों में नहीं थी। यह चालक दल की लंबी यात्राओं को आरामदायक बनाती है।"

उन्होंने कहा कि यह इंजन पर्यावरण अनुकूल है और इसमें सभी कंट्रोल सिस्टम कैबिन में ही मौजूद हैं। अब लोको को स्टार्ट या बंद करने के लिए ड्राइवर को बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। पुराने इंजन 6,000 हॉर्स पावर के थे, लेकिन यह दोगुनी ताकत वाला है।

गुप्ता ने बताया, "अभी तक हमारे टावर क्षेत्र में 10 इंजन आ चुके हैं। तीन साल में हम 300 इंजनों की होल्डिंग हासिल कर लेंगे।" इस परियोजना के तहत कुल 800 डब्ल्यूएजी-12बी इंजन बनाए जाएंगे। पहला इंजन 2017 में मधेपुरा फैक्ट्री से निकला था और सहारनपुर डिपो में तैनात किया गया। 250 इंजनों के बाद 251 से 500 तक का नागपुर शेड में, जबकि 501 से 800 तक साबरमती शेड में रखरखाव होगा। फिलहाल साबरमती लोको शेड में 50 इंजन होम किए जा चुके हैं।

ये इंजन रेलवे की माल ढुलाई को काफी बढ़ावा देंगे। अधिक क्षमता और आधुनिक तकनीक से गाड़ियां तेज और सुरक्षित चलेंगी, जिससे माल परिवहन लागत कम होगी।

रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। पश्चिम रेलवे ने इन इंजनों को अपनाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा।

Point of View

बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव लाएगा। इन इंजनों का प्रयोग रेलवे में एक नई दिशा में बढ़ने का संकेत है, जो आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण होगा।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

डब्ल्यूएजी-12बी इंजन की विशेषताएँ क्या हैं?
डब्ल्यूएजी-12बी इंजन 12,000 हॉर्स पावर की ताकत के साथ 6,000 टन से अधिक वजन की मालगाड़ी खींच सकता है।
ये इंजन कब से काम करने लगेंगे?
अभी तक 10 डब्ल्यूएजी-12बी इंजन टावर क्षेत्र में आ चुके हैं, और अगले तीन साल में 300 इंजनों की होल्डिंग हासिल कर ली जाएगी।
इन इंजनों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ये इंजन पर्यावरण अनुकूल हैं और रेलवे की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करेंगे।
इन इंजनों का उपयोग कैसे होगा?
इन इंजनों का उपयोग माल ढुलाई के लिए किया जाएगा, जिससे लागत कम और दक्षता बढ़ेगी।
कितने डब्ल्यूएजी-12बी इंजन बनाए जाएंगे?
इस परियोजना के तहत कुल 800 डब्ल्यूएजी-12बी इंजन बनाए जाने की योजना है।