क्या पवन कल्याण ने लाल चंदन के अवैध कटान पर सवाल उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- लाल चंदन का अवैध कटान न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि आस्था के खिलाफ भी है।
- पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है।
- सरकार तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दे रही है।
अमरावती, १५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के नेता पवन कल्याण ने राज्य के जंगलों में हो रहे लाल चंदन के अवैध कटान पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इन वृक्षों के काटे जाने को पर्यावरण और आस्था दोनों के खिलाफ बताया। पवन कल्याण ने पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों के माध्यम से लाल चंदन के वृक्षों के महत्व को भी उजागर किया। इसके साथ ही जंगलों में हो रहे अवैध कटान के खिलाफ कई सवाल भी खड़े किए।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस विषय में एक पोस्ट साझा की है। उन्होंने लिखा कि शेषाचलम वन केवल एक जंगल नहीं है, बल्कि यह भगवान बालाजी का पवित्र निवास है, जिसे सात पवित्र पर्वतों का आशीर्वाद प्राप्त है। इस दिव्य स्थान पर हमारे राष्ट्र, हमारी आर्थव्यवस्था, हमारी आस्था और हमारे पर्यावरण के खिलाफ एक जघन्य अपराध किया जा रहा है।
लाल चंदन के वृक्षों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह अद्वितीय संपदा, यह रक्त चंदन, पृथ्वी पर और कहीं नहीं मिलता। यह एक अनमोल खजाना है। किंवदंतियों के अनुसार यह स्वयं भगवान वेंकटेश्वर के दिव्य रक्त से उत्पन्न हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि ये वृक्ष केवल लकड़ी नहीं हैं। भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस के शोध से हमें पता चलता है कि पौधे दर्द और आघात महसूस करते हैं। वे एक समुदाय में रहते हैं, जिसे जर्मन वनपाल पीटर वोहलेबेन 'वुड-वाइड वेब' कहते हैं। वे संवाद करते हैं और एक-दूसरे की रक्षा करते हैं। जब एक मातृ वृक्ष काटा जाता है, तो पूरा नेटवर्क एक दर्दनाक झटके से कांप उठता है। कुल्हाड़ी चलाने वाले अपराधी एक जीवित, पवित्र समुदाय को तार-तार कर रहे हैं!
कुछ लोग इतनी आसानी से वन भूमि पर अतिक्रमण कैसे कर सकते हैं? उन्हें बिना किसी डर के लाल चंदन के वृक्ष काटने की हिम्मत कौन देता है?
वे दिन-दहाड़े पुलिस, सुरक्षाकर्मियों, सरकारी एजेंसियों और जंगल के आसपास के समुदाय से बचकर इनकी तस्करी कैसे कर लेते हैं? इसके जवाब सिस्टम की विफलता और अतीत में राजनीतिक इच्छाशक्ति की भारी कमी की ओर इशारा करते हैं। हमें 'क्यों' पूछना बंद करके न्याय की मांग करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि उन सभी दोषियों को कानून और उसके परिणामों का सामना करना पड़े! अब लोग इन प्राचीन जंगलों को अपने पिछवाड़े के बगीचों की तरह या लुप्तप्राय लाल चंदन को अपनी निजी संपत्ति नहीं समझ सकते। हमारी गठबंधन सरकार अब लाल चंदन की तस्करी बर्दाश्त नहीं करेगी। हम तस्करों, सरगनाओं और इसमें शामिल सभी दोषियों की पहचान कर रहे हैं। हम उन्हें न केवल गिरफ्तार करेंगे, बल्कि वन अधिनियम के तहत उनकी संपत्ति भी जब्त करेंगे!
उन्होंने कहा कि इस अवैध व्यापार में शामिल हर व्यक्ति का सफाया करने के लिए केंद्र सरकार के 'ऑपरेशन कगार' की तरह एक विशेष, पूर्ण अभियान जल्द ही शुरू किया जाएगा। हम तस्करों में भय पैदा करेंगे ताकि कोई भी, कोई भी, फिर कभी लाल चंदन के एक भी पेड़ को छूने की हिम्मत न करे।