क्या पीएम मोदी 27 जुलाई को चोल सम्राट की जयंती समारोह में भाग लेंगे?

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क्या पीएम मोदी 27 जुलाई को चोल सम्राट की जयंती समारोह में भाग लेंगे?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जुलाई को चोल सम्राट राजेंद्र चोल की जयंती समारोह में भाग लेने जा रहे हैं। इस अवसर पर वे गंगईकोंडा चोलपुरम में स्मारक सिक्का जारी करेंगे। यह कार्यक्रम चोल साम्राज्य के समुद्री अभियान के एक हजार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है।

Key Takeaways

  • पीएम मोदी का गंगईकोंडा चोलपुरम दौरा चोल साम्राज्य की विरासत का सम्मान है।
  • राजेंद्र चोल ने समुद्री अभियान के जरिए व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
  • गंगईकोंडा चोलपुरम यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • आदि तिरुवथिरई महोत्सव सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
  • चोल वास्तुकला में विस्तृत नक्काशी और कांस्य मूर्तियाँ शामिल हैं।

नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी रविवार को चोल सम्राट राजेंद्र चोल की जयंती के अवसर पर और अरियालुर जिले के गंगईकोंडा चोलपुरम में आयोजित होने वाले आदि तिरुवथिरई महोत्सव में भाग लेने वाले हैं।

मोदी 27 जुलाई को प्रसिद्ध गंगईकोंडा चोलपुरम का दौरा करेंगे और भारत के महान सम्राटों में से एक राजेंद्र चोल के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी करेंगे।

उनके साथ तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन. रवि, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सूचना एवं प्रसारण एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन तथा अन्य सम्मानित व्यक्ति भी मौजूद रहेंगे।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कल, 27 जुलाई को महान राजेंद्र चोल प्रथम के दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री अभियान के एक हजार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि राजेंद्र चोल प्रथम के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी किया जा रहा है, साथ ही आदि तिरुवथिरई उत्सव भी मनाया जाएगा।"

आपको बता दें, राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ई.) ने अपने पिता राजराजा चोल प्रथम का स्थान लिया और चोल साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार दक्षिण भारत से आगे बढ़कर दक्षिण-पूर्व एशिया, श्रीलंका और मालदीव तक किया। उन्हें चोल साम्राज्य के सफल समुद्री अभियान का श्रेय दिया जाता है, जिसने बंगाल की खाड़ी के पार राजनयिक और व्यापारिक संबंध स्थापित किए।

उन्होंने गंगईकोंडा चोलपुरम को नई शाही राजधानी के रूप में स्थापित किया और एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवाया, जो धार्मिक भक्ति और प्रशासनिक सर्वोच्चता दोनों का प्रतीक है। यह मंदिर चोल वास्तुकला को दर्शाता है, जिसमें विस्तृत नक्काशी, शिलालेख और कांस्य मूर्तियां हैं। आज यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और अपनी जटिल मूर्तियों, चोल कांस्य प्रतिमाओं और प्राचीन शिलालेखों के लिए प्रसिद्ध है।

Point of View

यह समारोह भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति एक महत्वपूर्ण सम्मान है। पीएम मोदी का इसमें भाग लेना न केवल राजेंद्र चोल की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और गौरव को भी दर्शाता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

पीएम मोदी 27 जुलाई को किस कार्यक्रम में शामिल होंगे?
पीएम मोदी 27 जुलाई को चोल सम्राट राजेंद्र चोल की जयंती समारोह और आदि तिरुवथिरई महोत्सव में शामिल होंगे।
राजेंद्र चोल ने किसे स्थापित किया?
राजेंद्र चोल ने गंगईकोंडा चोलपुरम को नई शाही राजधानी के रूप में स्थापित किया।
गंगईकोंडा चोलपुरम क्यों प्रसिद्ध है?
गंगईकोंडा चोलपुरम अपनी भव्य चोल वास्तुकला और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
आदि तिरुवथिरई महोत्सव क्या है?
आदि तिरुवथिरई महोत्सव चोल साम्राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण उत्सव है।
राजेंद्र चोल का साम्राज्य कहाँ तक फैला था?
राजेंद्र चोल का साम्राज्य दक्षिण भारत से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया, श्रीलंका और मालदीव तक फैला हुआ था।