क्या पीएम मोदी ने पुतिन को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की।
- यह भेंट भारतीय साहित्य को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास है।
- श्रीमद्भगवद्गीता के अनुवाद का महत्व बढ़ रहा है।
- भारत की आध्यात्मिक धरोहर को विश्व में प्रस्तुत करने का अवसर।
- सांस्कृतिक संबंध को मजबूत करने का कदम।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्तमान में अपने दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रिय मित्र राष्ट्रपति पुतिन का शानदार स्वागत किया और उन्हें रूसी भाषा में अनुवादित श्रीमद्भगवद्गीता की एक प्रति भेंट की। श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाएं विश्वभर में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
पीएम मोदी का राष्ट्रपति पुतिन को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करना, उनके भारतीय साहित्य, अध्यात्म और भाषाओं के प्रति गहरी रुचि को दर्शाता है। इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'द मोदी स्टोरी' द्वारा एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय साहित्य और संस्कृति को वैश्विक संवाद में लाते हैं।
श्रीनिवास राव ने कहा कि 2019 में एससीओ देशों की भाषाओं में भारतीय साहित्य के अनुवाद की घोषणा से लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनकी भारत यात्रा के दौरान रूसी भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करने तक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निरंतर भारत की ज्ञान को सीमाओं से परे पहुंचाने का कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह कदम भारत की साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक संवाद में लाने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिससे यह सिद्ध होता है कि साहित्य और आध्यात्मिक ग्रंथ कूटनीतिक संबंधों का कितना आवश्यक हिस्सा हैं।
उन्होंने बताया कि जब 2019 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन हुआ, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस आधुनिक भारतीय साहित्यिक कृतियों का एससीओ देशों की भाषाओं में अनुवाद करने का सुझाव दिया था, ताकि इन देशों के पाठक सीधे भारतीय लेखन तक पहुंच सकें। इसके पश्चात, मंत्रालयों और भारतीय दूतावासों ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए भाषाई और संपादकीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर, विशेष रूप से रूसी, चीनी और अंग्रेजी में अनुवादों का समन्वय किया।
उन्होंने कहा कि एससीओ देशों के लिए अनुवादित पुस्तकें और राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की गई श्रीमद्भगवद्गीता का रूसी अनुवाद, दोनों मिलकर इस बात को उजागर करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय साहित्य और संस्कृति को वैश्विक संवाद में कैसे लाते हैं। चाहे वह आधुनिक रचनाओं के माध्यम से हो या शाश्वत आध्यात्मिक ग्रंथों के माध्यम से, वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की कहानियां, विचार और ज्ञान सीमाओं से परे पहुंचें और शब्दों की शक्ति से राष्ट्रों को जोड़ें।