क्या प्राण, सिने जगत के ‘प्राण’ खलनायकी से दर्शकों को डराते थे?

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क्या प्राण, सिने जगत के ‘प्राण’ खलनायकी से दर्शकों को डराते थे?

सारांश

प्राण, भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली खलनायक, जिनकी अदाकारी ने दर्शकों को भयभीत किया। जानें उनके जीवन की प्रेरक कहानी और खलनायकी की दुनिया में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • प्राण का अभिनय अद्वितीय था।
  • उन्होंने सिनेमा में खलनायकी को नया रूप दिया।
  • प्राण की खलनायकी ने दर्शकों को भयभीत किया।
  • प्राण को कई पुरस्कार मिले।
  • उनका योगदान आज भी याद किया जाता है।

मुंबई, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब हम बॉलीवुड के सबसे भयानक और यादगार खलनायकों की चर्चा करते हैं, तो प्राण कृष्ण सिकंद अहलूवालिया का नाम सबसे पहले आता है। प्राण, जिन्हें भारतीय सिनेमा में ‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ की उपाधि प्राप्त हुई, ने अपने छह दशक लंबे करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। 1940 से 1990 के दशक तक उनकी खलनायकी ने दर्शकों को डराया और उनके सहायक किरदारों ने दिल जीता।

प्राण अपनी एक्टिंग में इस कदर डूब जाते थे कि लोग उन्हें देखने के बाद गालियों और बद्दुआओं की बौछार करने लगते थे। ‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ लड़कियों और महिलाओं को पर्दे पर नापसंद थे।

शनिवार 12 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि है। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को लाहौर में हुआ था और उनका पालन-पोषण दिल्ली के बल्लीमारान में एक संपन्न पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद एक सिविल इंजीनियर और सरकारी ठेकेदार थे। प्राण ने मेरठ, देहरादून, कपूरथला और रामपुर जैसे शहरों में शिक्षा प्राप्त की।

फोटोग्राफी में रुचि रखने वाले प्राण ने लाहौर में एक फोटोग्राफर के रूप में करियर की शुरुआत की। 1938 में शिमला में रामलीला में 'सीता' का किरदार निभाने के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ थी, जो 1940 में आई थी। इस फिल्म में प्राण ने खलनायक की भूमिका निभाई थी। लेकिन हिंदी सिनेमा में 1942 में आई फिल्म ‘खानदान’ से वह हीरो बन गए।

1947 में विभाजन के बाद प्राण मुंबई आए और ‘जिद्दी’ से बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। प्राण ने 1950 और 60‘मधुमति’ (1958), ‘जिस देश में गंगा बहती है’ (1960), ‘राम और श्याम’ (1967) में उनकी दमदार मौजूदगी ने दर्शकों को चौंका दिया। उनकी गहरी आवाज और “बरखुरदार” जैसे संवादों ने उन्हें घर-घर मशहूर कर दिया। उनकी खलनायकी इतनी प्रभावशाली थी कि लोग अपने बच्चों का नाम ‘प्राण’ रखने से कतराते थे। प्राण ने 1967 में ‘उपकार’ में ‘मलंग चाचा’ का किरदार निभाकर सहायक भूमिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ी। ‘जंजीर’ (1973), ‘डॉन’ (1978), और ‘अमर अकबर एंथनी’ (1977) जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने साबित किया कि वह हर भूमिका में जान डाल सकते हैं।

प्राण 1969 से 1982 तक बॉलीवुड के सबसे महंगे अभिनेताओं में शुमार हो गए। उन्होंने 1973 में ‘जंजीर’ के लिए निर्माता प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया, जिसने अमिताभ के करियर को नई उड़ान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्राण, अशोक कुमार के करीबी दोस्त थे और दोनों ने 20 से ज्यादा फिल्मों में साथ काम किया। प्राण ने 1991 में ‘लक्ष्मणरेखा’ फिल्म का निर्माण भी किया। 1998 में दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्होंने फिल्में कम कर दीं, लेकिन अमिताभ के कहने पर ‘तेरे मेरे सपने’ (1996) और ‘मृत्युदाता’ (1997) में काम किया। प्राण को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। उन्होंने ‘उपकार’ (1967), ‘आंसू बन गए फूल’ (1969), और ‘बे-ईमान’ (1972) के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का तीन फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। हालांकि, 1972 में ‘बे-ईमान’ के लिए पुरस्कार स्वीकार करने से उन्होंने इनकार कर दिया, क्योंकि उनका मानना था कि ‘पाकीजा’ के लिए गुलाम मोहम्मद को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरस्कार मिलना चाहिए था।

1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और 2000 में स्टारडस्ट‘विलेन ऑफ द मिलेनियम’ पुरस्कार मिला। 2001 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 2013 में उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला, जो उनके घर पर प्रदान किया गया।

प्राण ने 1945 में शुकला अहलूवालिया से शादी की। उनके तीन बच्चे अरविंद, सुनील, और पिंकी हैं। वह खेल प्रेमी थे। उन्होंने बांग्लादेश के शरणार्थियों और मूक-बधिरों के लिए चैरिटी शो आयोजित किए थे।

12 जुलाई 2013 को 93मुंबई के लीलावती अस्पताल में उनका निधन हो गया। प्राण का नाम आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा है।

Point of View

बल्कि उन्हें सोचने पर मजबूर किया। आज भी प्राण का नाम सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

प्राण का असली नाम क्या था?
प्राण का असली नाम कृष्ण सिकंद अहलूवालिया था।
प्राण ने कितनी फिल्मों में काम किया?
प्राण ने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया।
प्राण का जन्म कब हुआ?
प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को लाहौर में हुआ था।
प्राण को कौन सा पुरस्कार मिला?
प्राण को पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार जैसे कई पुरस्कार मिले।
प्राण की प्रमुख फिल्में कौन सी थीं?
प्राण की प्रमुख फिल्मों में ‘जंजीर’, ‘डॉन’, और ‘उपकार’ शामिल हैं।