क्या प्रियांक खड़गे ने विदेश मंत्री जयशंकर को पत्र लिखा? अमेरिका यात्रा पर स्पष्टीकरण मांगा

सारांश
Key Takeaways
- प्रियांक खड़गे का पत्र एस. जयशंकर को लिखा गया है।
- कर्नाटक की अमेरिका यात्रा को मिली राजनीतिक मंजूरी का सवाल।
- राज्य के विकास में केंद्र की नीतियों का प्रभाव।
- अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में कर्नाटक की भागीदारी का महत्व।
- कर्नाटक की तकनीकी राजधानी के रूप में पहचान।
बेंगलुरु, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी न मिलने पर स्पष्टीकरण मांगा है।
पत्र में प्रियांक ने उल्लेख किया, "मैं 14-27 जून 2025 तक अमेरिका की अपनी निश्चित आधिकारिक यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी देने से इनकार करने पर विदेश मंत्रालय से औपचारिक स्पष्टीकरण मांगने के लिए लिख रहा हूं।"
उन्होंने कहा कि यह यात्रा बोस्टन में बीआईओ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और सैन फ्रांसिस्को में डिजाइन ऑटोमेशन सम्मेलन (डीएसी) के साथ-साथ विभिन्न प्रमुख कंपनियों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ कई आधिकारिक बैठकों के लिए योजनाबद्ध थी। इस यात्रा का उद्देश्य कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सहयोग की संभावनाएं तलाशना, निवेश आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना था।
मंत्री खड़गे ने बताया कि मंत्रालय की ओर से इनकार के कारणों को समझाने के लिए किसी औपचारिक संचार की अनुपस्थिति में भविष्य के कार्यक्रमों का आकलन और योजना बनाना मुश्किल हो जाता है। इससे प्रक्रिया की निरंतरता को लेकर चिंताएं उत्पन्न होती हैं, विशेष रूप से जब दौरे आधिकारिक और राष्ट्रीय हित में हों।
प्रियांक खड़गे ने निवेदन किया कि मंत्रालय कृपया इनकार के लिए एक औपचारिक स्पष्टीकरण प्रदान करे और भविष्य में इस प्रकार के आधिकारिक कार्यों को संभालने में अधिक पारदर्शिता और परामर्श प्रदान करने वाले दृष्टिकोण पर विचार करे।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक न केवल भारत बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की तकनीकी राजधानी और विकास का इंजन है। यह नवाचार और स्टार्टअप्स में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है, और सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन और विनिर्माण, एयरोस्पेस, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रक्षा उत्पादन में अग्रणी रहा है।
खड़गे ने कहा कि यह नेतृत्व दूरदर्शी राज्य-नीतियों और गहन वैश्विक साझेदारियों द्वारा निर्मित गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विकसित हुआ है, जिसने कर्नाटक को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना दिया है।
खड़गे ने कहा कि कर्नाटक की विशेष नेतृत्व क्षमता को देखते हुए, इतने महत्वपूर्ण आधिकारिक दौरे में मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधित्व की कमी एक बड़ा अवसर गंवाने जैसा है। इससे भारत की भागीदारी को और मजबूत करने, वैश्विक साझेदारों में भरोसा बढ़ाने और इन क्षेत्रों के प्रति हमारी गंभीरता दिखाने का मौका चूक गया। सबसे ज़रूरी यह है कि ऐसे दौरों में भाग लेना हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है और यह प्रधानमंत्री के 'विकसित भारत' के बड़े विजन को समर्थन देता है।
केंद्र सरकार द्वारा उनकी अमेरिका यात्रा की अनुमति न देने पर टिप्पणी करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार कर्नाटक की सफलता को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
पेरिस के दौरे से लौटने के बाद बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रियांक खड़गे ने कहा था कि ऐसा लगता है कि वह कर्नाटक की सफलता को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।