क्या पंजाब में बंदी छोड़ दिवस और दीपावली को स्वर्ण मंदिर को रोशन किया गया?

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क्या पंजाब में बंदी छोड़ दिवस और दीपावली को स्वर्ण मंदिर को रोशन किया गया?

सारांश

पंजाब में स्वर्ण मंदिर का परिसर दीपावली के साथ-साथ बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर रोशनी से जगमगा उठा। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे मनाने का एक अनूठा तरीका भी है। जानें इस खास मौके पर क्या कुछ खास हुआ।

Key Takeaways

  • स्वर्ण मंदिर की रोशनी ने उत्सव का माहौल बनाया।
  • बंदी छोड़ दिवस और दीपावली का एक साथ मनाया जाना।
  • प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने की अपील।
  • सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक।
  • धार्मिक एकता और भाईचारे का संदेश।

चंडीगढ़, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वर्ण मंदिर परिसर, जहां सिखों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल हरमंदर साहिब स्थित है, को सोमवार को बंदी छोड़ दिवस एवं दीपावली के अवसर पर रोशनी से सजाया गया।

पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में सोमवार सुबह से ही उत्सव का माहौल बना रहा। हजारों लोग प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं।

त्योहार की तिथि को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंजाब सरकार के आधिकारिक कैलेंडर में 20 अक्टूबर को दीपावली की छुट्टी घोषित की गई है, जबकि कई धार्मिक संगठन 21 अक्टूबर को यह त्योहार मनाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस ऐतिहासिक बंदी छोड़ दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ दीं। यह दिन 1619 में छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद और 52 अन्य राजकुमारों की जेल से रिहाई के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

गुरु और राजकुमार दीपावली के उत्सव के समय अमृतसर पहुँचे थे। तब से स्वर्ण मंदिर परिसर में बंदी छोड़ दिवस और दीपावली का उत्सव एक साथ मनाया जाता है।

पंजाब के अन्य स्थानों, गुरुद्वारों और बाजारों में भी उत्सव का आनंद लिया जा रहा है। लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर और अन्य शहरों के बाजारों में सैकड़ों लोग उमड़ पड़े हैं।

दीपावली के त्योहार को लेकर चंडीगढ़ और हरियाणा के कस्बों और शहरों में भी उत्साह देखने को मिला।

पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने एक संदेश में कहा कि दीपावली असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है, जो अच्छाई और सद्भाव के सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव मनाता है।

उन्होंने लोगों से प्रदूषण मुक्त हरित दीपावली मनाने की अपील की और इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण संरक्षण एक साझा जिम्मेदारी है। प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय है जो सभी को प्रभावित करता है। उन्होंने नागरिकों से त्योहारों के दौरान पटाखों का कम से कम इस्तेमाल करने और पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाने का आग्रह किया।

Point of View

बल्कि यह पूरे देश की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। यह अवसर हमें याद दिलाता है कि सत्य, धर्म और प्रकाश की विजय हमेशा हमारे समाज में महत्वपूर्ण रहनी चाहिए।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

बंदी छोड़ दिवस कब मनाया जाता है?
बंदी छोड़ दिवस हर साल 20 अक्टूबर को मनाया जाता है।
दीपावली का त्योहार कब मनाया जाता है?
दीपावली का त्योहार भारत में आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।
स्वर्ण मंदिर का महत्व क्या है?
स्वर्ण मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है और यह आस्था, शांति और समर्पण का प्रतीक है।
कैसे दीपावली और बंदी छोड़ दिवस जुड़े हुए हैं?
दीपावली के दिन गुरु हरगोबिंद जी की जेल से रिहाई का जश्न मनाया जाता है, इसलिए दोनों त्योहार एक साथ मनाए जाते हैं।
इस वर्ष दीपावली की तारीख क्या है?
इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।