क्या पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट में बदलाव नहीं होगा?
सारांश
Key Takeaways
- पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट में कोई बदलाव नहीं होगा।
- शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों की मांगों को मान्यता दी है।
- पहले किए गए बदलावों को निरस्त किया गया है।
- शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा मिला है।
- हितधारकों की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखा गया है।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में हाल ही में किए गए बदलावों को रद्द करने का निर्णय लिया है। इससे अब पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट में कोई परिवर्तन नहीं होगा। हाल ही में जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को साझा की।
यह निर्णय छात्रों, शिक्षकों, पूर्व कुलपतियों और वर्तमान कुलपति सहित विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रियाओं और मांगों के आधार पर लिया गया है। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि छात्रों की मांगों को मान्यता दी गई है और अब सीनेट में कोई बदलाव नहीं होगा। पहले के आदेश के तहत ऑर्डिनरी फेलो की संख्या को 24 तक सीमित किया गया था।
इसके अतिरिक्त, एक और बदलाव के तहत धारा-14 और धारा-37 को समाप्त कर दिया गया था। साथ ही, पदेन और निर्वाचित सदस्यों की संरचना में भी बदलाव किया गया था।
वास्तव में, 2 मार्च 2021 को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के गठन और संरचना में संशोधन का सुझाव दिया था। इसके आधार पर, भारत सरकार ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 72(1), (2) और (3) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट में बदलाव किए गए थे।
शिक्षा मंत्रालय के इस निर्णय के बाद, विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों ने अपनी आपत्तियाँ जताईं। इस अधिसूचना के बाद, छात्र संगठनों, शिक्षकों, पूर्व कुलपतियों और वर्तमान कुलपति ने अपनी आपत्तियाँ और सुझाव शिक्षा मंत्रालय को भेजे। छात्र संगठनों ने शिक्षा मंत्रालय के साथ हुई बैठकों में इस परिवर्तन को रद्द करने की मांग की। इन सभी सुझावों और प्रतिक्रियाओं पर विचार करने के बाद, शिक्षा मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में किए गए परिवर्तन संबंधी आदेश को रद्द किया जाता है। इसका अर्थ है कि अब पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट की मौजूदा संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होगा।