क्या ज्यूडिशियरी में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है?

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क्या ज्यूडिशियरी में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है?

सारांश

पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने न्यायपालिका में सरकार के हस्तक्षेप पर स्पष्टता दी है। उन्होंने संविधान, सोशल मीडिया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अपने विचार साझा किए हैं। जानिए उनके बेबाक उत्तरों के बारे में।

Key Takeaways

  • संविधान की मूल संरचना को बनाए रखना आवश्यक है।
  • सरकार का ज्यूडिशियरी में कोई हस्तक्षेप नहीं है।
  • सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल हो रहा है।
  • न्यायपालिका केवल आदेश दे सकती है, इसे लागू करना कार्यपालिका का काम है।
  • नक्सलवाद कई क्षेत्रों से समाप्त हो रहा है।

नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में अपने कार्यकाल, संविधान, सोशल मीडिया, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और देश की मौजूदा चुनौतियों पर स्पष्ट जवाब दिए। यहां पेश हैं इस साक्षात्कार के कुछ महत्वपूर्ण अंश।

सवाल: क्या आपको लगता है कि संविधान खतरे में है?

जवाब: मैं ऐसा नहीं मानता। 1973 का केशवानंद भारती निर्णय स्पष्ट है। उस निर्णय में कहा गया है कि संसद संविधान की 'बेसिक स्ट्रक्चर' में कोई बदलाव नहीं कर सकती। संविधान में बदलाव नहीं किया जा सकता।

सवाल: बाबा साहेब के सपने और संवैधानिक मूल्यों पर आपका दृष्टिकोण क्या है?

जवाब: बाबा साहेब ने केवल राजनीतिक न्याय का नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय का सपना देखा था। उनका मानना था कि लोकतंत्र तभी सही से काम करेगा जब राजनीतिक लोकतंत्र के साथ सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र भी हो। इसलिए हमारी तीनों संस्थाएं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) को मिलकर काम करना चाहिए। न्याय हर नागरिक तक कम खर्च में पहुंचना चाहिए। यही बाबा साहेब

सवाल: क्या सरकार का न्यायपालिका में हस्तक्षेप होता है?

जवाब: नहीं, यह धारणा गलत है। सरकार का ज्यूडिशियरी में कोई हस्तक्षेप नहीं होता। हां, जब कॉलेजियम कोई निर्णय लेता है तो कई फैक्टर्स पर विचार किया जाता है। उस समय एग्जीक्यूटिव, आईबी, लॉ मिनिस्ट्री, संबंधित चीफ जस्टिस, जिनका ट्रांसफर हो रहा है, चीफ मिनिस्टर और गवर्नर सभी की राय ली जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कॉलेजियम किसी दबाव में काम करता है।

सवाल: सोशल मीडिया पर आपके खिलाफ ट्रोलिंग और भगवान विष्णु वाले विवाद पर आपकी क्या राय है?

जवाब: मैं सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करता। मैंने भगवान विष्णु के बारे में ऐसी कोई बात नहीं की थी, लेकिन इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मुझे लगता है कि जज को निर्णय सोशल मीडिया की पसंद-नापसंद देखकर नहीं देना चाहिए। जब तथ्य और सबूत होते हैं, तो फैसला कानून के आधार पर होना चाहिए।

सवाल: क्या सोशल मीडिया का गलत उपयोग हो रहा है?

जवाब: हां, इसका मिसयूज हो रहा है। इससे एग्जीक्यूटिव, लेजिस्लेटिव और ज्यूडिशियरी सभी प्रभावित हैं। सभी को ट्रोल किया जा रहा है। टेक्नोलॉजी वरदान है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल भी बड़ा खतरा है। इसके लिए संसद को कानून बनाना चाहिए। सभी को मिलकर इस समस्या से लड़ना होगा।

सवाल: क्या जजों को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करके ट्रोल करना उचित है?

जवाब: नहीं, जज को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करना सही नहीं है।

सवाल: क्या दिल्ली के प्रदूषण पर ज्यूडिशियल इंटरवेंशन एक समाधान है?

जवाब: नहीं। न्यायपालिका सिर्फ आदेश दे सकती है, लेकिन इसे लागू करना कार्यपालिका का काम है।

सवाल: जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर आपकी क्या राय है?

जवाब: इस मामले में संसद के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई है, जिसकी प्रक्रिया जारी है। इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

सवाल: आप अपने कार्यकाल से कितने संतुष्ट हैं?

जवाब: मैं अपने कार्यकाल से पूरी तरह संतुष्ट हूं। मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसा काम था जिसे मैं करना चाहता था और नहीं कर पाया।

सवाल: रिटायरमेंट के बाद पद लेने पर आपकी राय?

जवाब: मैंने कभी नहीं कहा कि रिटायरमेंट के बाद पद लेना गलत है।

सवाल: नक्सलवाद पर आपके क्या विचार हैं?

जवाब: मुझे खुशी है कि आज नक्सलवाद कई क्षेत्रों से खत्म हो रहा है। कभी महाराष्ट्र का गढ़चिरौली बहुत बड़ा केंद्र था, लेकिन आज यह सब बहुत कम हो गया है।

सवाल: रिटायरमेंट के बाद आपकी क्या योजना है?

जवाब: फिलहाल मेरी राजनीति में आने की कोई योजना नहीं है। अभी मैंने तय नहीं किया कि आगे क्या करूंगा। अभी, बस आराम कर रहा हूं।

Point of View

और हर नागरिक को न्याय तक पहुंच सुनिश्चित होनी चाहिए।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या संविधान खतरे में है?
पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि संविधान खतरे में नहीं है और संसद इसकी मूल संरचना में बदलाव नहीं कर सकती।
क्या सरकार का न्यायपालिका में हस्तक्षेप होता है?
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार का न्यायपालिका में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
सोशल मीडिया का गलत उपयोग कैसे हो रहा है?
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का मिसयूज हो रहा है, जिससे सभी संस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।
क्या न्यायपालिका प्रदूषण का समाधान दे सकती है?
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका केवल आदेश दे सकती है, लेकिन इसे लागू करना कार्यपालिका का काम है।
नक्सलवाद पर आपकी राय क्या है?
उन्होंने खुशी व्यक्त की कि नक्सलवाद कई क्षेत्रों से खत्म हो रहा है।
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