क्या राजिंदर गोयल ने रणजी ट्रॉफी में इतिहास रचा, फिर भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का मौका नहीं मिला?

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क्या राजिंदर गोयल ने रणजी ट्रॉफी में इतिहास रचा, फिर भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का मौका नहीं मिला?

Key Takeaways

  • राजिंदर गोयल ने घरेलू क्रिकेट में अद्वितीय रिकॉर्ड बनाए।
  • उनके नाम 637 विकेट का रिकॉर्ड है, जो आज भी अद्वितीय है।
  • उन्होंने 26 सीजन तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला।
  • गोयल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका नहीं मिला, फिर भी वे एक प्रेरणा हैं।
  • उन्हें 'सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। घरेलू क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली स्पिन गेंदबाजों में से एक राजिंदर गोयल ने रणजी ट्रॉफी में अपनी अद्वितीय छवि स्थापित की है। उनके नाम 637 विकेट लेने का अनोखा रिकॉर्ड है। बाएं हाथ के इस स्पिनर को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का अवसर नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद उन्हें भारतीय क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड के लिए हमेशा याद किया जाता है।

20 सितंबर 1942 को नरवाना (हरियाणा) में जन्मे राजिंदर गोयल ने तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्हें अखिल भारतीय स्कूल टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चुना गया। इसके बाद 1958-59 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कदम रखा।

महज 16 वर्ष की आयु में उन्होंने पटियाला की ओर से सर्विसेज के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में सुरिंदर बाली का विकेट लेकर उसे यादगार बना दिया, और 1962-63 तक वह दिल्ली के लिए खेलते रहे।

गोयल अपने फिटनेस के प्रति गंभीर थे और नेट में कम से कम 10 बल्लेबाजों के खिलाफ गेंदबाजी करते थे।

राजिंदर गोयल ने 1964-65 सीजन में नॉर्दर्न पंजाब के खिलाफ शानदार खेल दिखाया, जिसमें उनका मुकाबला भारत के महान बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी से था। इस मैच में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।

1973-74 में गोयल हरियाणा चले गए। रेलवे के खिलाफ उन्होंने 55 रन देकर 8 विकेट लिए और एक बार फिर सभी का ध्यान खींचा। इस शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट के लिए भारतीय टीम में चुना गया, लेकिन वह प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना सके।

1979-80 में किम ह्यूजेस की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत आई थी। नॉर्थ जोन की ओर से उन्होंने छह विकेट लेकर अपनी क्षमता को फिर से साबित किया।

राजिंदर गोयल ने 157 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 18.58 की औसत के साथ 750 विकेट हासिल किए। इस दौरान उन्होंने 59 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट और 18 बार मुकाबले में 10 या इससे अधिक विकेट लिए। वहीं, 8 लिस्ट-ए मुकाबलों में उन्होंने 14 विकेट चटकाए।

राजिंदर गोयल ने करीब 26 सीजन तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और 44 वर्ष की आयु में खेल से संन्यास ले लिया। इसके बाद वह हरियाणा के चयनकर्ता रहे और पुरुष और महिला क्रिकेट में मैच रेफरी की भूमिका निभाई।

राजिंदर गोयल वर्ष 2000 में अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का चयन करने वाली चयन समिति का हिस्सा थे। 2000 में भारत पहली बार अंडर-19 वर्ल्ड कप का चैंपियन बना था। 2017 में उन्हें 'सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया। 21 सितंबर 2020 को लंबी बीमारी के बाद राजिंदर गोयल ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

Point of View

जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं मिली, फिर भी उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता हमेशा बड़े मंच पर नहीं मिलती, बल्कि समर्पण और मेहनत से भी मिलती है।
NationPress
03/11/2025

Frequently Asked Questions

राजिंदर गोयल के क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा उपलब्धि क्या है?
राजिंदर गोयल ने 637 विकेट लेकर रणजी ट्रॉफी में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया है।
राजिंदर गोयल को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका क्यों नहीं मिला?
राजिंदर गोयल को उनके समय में कई प्रतिभाशाली गेंदबाजों के बीच प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का अवसर नहीं मिला।
राजिंदर गोयल का जन्म कब हुआ था?
राजिंदर गोयल का जन्म 20 सितंबर 1942 को नरवाना, हरियाणा में हुआ था।
क्या राजिंदर गोयल ने कोई पुरस्कार जीते हैं?
हाँ, उन्हें 'सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया है।
राजिंदर गोयल ने कितने वर्ष क्रिकेट खेला?
राजिंदर गोयल ने लगभग 26 सीजन तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला।