क्या राजकोट में दीपावली पर चोपड़ा पूजन की परंपरा डिजिटल युग में भी कायम है?

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क्या राजकोट में दीपावली पर चोपड़ा पूजन की परंपरा डिजिटल युग में भी कायम है?

सारांश

राजकोट में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां व्यापारी चोपड़ा पूजन कर रहे हैं। डिजिटल युग में भी परंपरा का महत्व बरकरार है। कयूरी शाह जैसे व्यापारियों का मानना है कि यह शुभ संकेत है।

Key Takeaways

  • दीपावली का पर्व व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक है।
  • चोपड़ा पूजन की परंपरा डिजिटल युग में भी कायम है।
  • व्यापारी नए बहीखाते खरीदते हैं।
  • सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का अवसर।
  • राजकोट के बाजारों में दीपावली की रौनक।

राजकोट, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली का त्योहार सोमवार को गुजरात के राजकोट में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर व्यापारियों ने अपने बहीखातों का पूजन किया, जो उनके व्यापार का हिसाब-किताब रखते हैं। दीपावली पर पुराने चोपड़ों की पूजा के साथ-साथ नए बहीखाते भी खरीदे गए। व्यापारियों का कहना है कि डिजिटल युग में भी चोपड़ा पूजन की परंपरा का महत्व बरकरार है।

लाखाजीरोड पर एक पुरानी पीढ़ी के मालिक ने कहा कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से इस व्यवसाय में है और उन्हें कभी कोई कमी का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोग उत्साह के साथ चोपड़ा पूजन करते हैं। तकनीक भले ही बदल गई हो, लेकिन परंपरा का महत्व वही है।”

वहीं, समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में व्यापारी कयूरी शाह ने बताया कि उनके यहां दीपावली पूजा से जुड़ी सामग्री और बहीखातों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। लोगों में इसे खरीदने का रुचि भी देखने को मिल रही है। इसे वे एक शुभ संकेत के रूप में देखती हैं।

उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोगों में किताबों और परंपराओं के प्रति रुचि कम नहीं हुई है। हमारे यहां बड़ी संख्या में युवा बहीखाते और पूजा सामग्री खरीदने आते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी परंपराएं और अनुष्ठान हमेशा जीवित रहें।”

कयूरी ने इस बात पर जोर दिया कि दीपावली का यह पर्व न केवल व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ाता है।

उन्होंने आगे कहा, ‘राजकोट के बाजारों में दीपावली की रौनक देखते ही बन रही है। व्यापारी और स्थानीय लोग इस पर्व को उत्साह के साथ मना रहे हैं। पूजन के साथ-साथ मिठाइयां, दीये और रंगोली जैसी परंपराएं भी शहर में जोर-शोर से नजर आईं।

उन्होंने कहा, “यह पर्व न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और परंपराओं को जीवित रखने का भी अवसर प्रदान करता है।”

Point of View

बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखता है। राजकोट जैसे शहरों में, जहां परंपराएं और आधुनिकता का संगम हो रहा है, वहां यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

राजकोट में दीपावली कैसे मनाई जाती है?
राजकोट में दीपावली पर व्यापारी चोपड़ा पूजन करते हैं और नए बहीखाते खरीदते हैं।
क्या डिजिटल युग में चोपड़ा पूजन की परंपरा बरकरार है?
जी हां, व्यापारी इसे महत्वपूर्ण मानते हैं और उत्साह के साथ पूजन करते हैं।
कयूरी शाह का इस परंपरा के बारे में क्या कहना है?
उनका मानना है कि दीपावली परंपराओं को जीवित रखने का अवसर है।