क्या राजनाथ सिंह के नेहरू पर दिए बयान से विपक्ष ने ध्यान भटकाने का आरोप लगाया?
सारांश
Key Takeaways
- राजनाथ सिंह का बयान विवाद पैदा कर रहा है।
- विपक्ष ने इसे ध्यान भटकाने की कोशिश माना।
- सामूहिक आलोचना का सामना कर रहे हैं मंत्री।
- बयान के पीछे राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- ऐसे बयानों से राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ता है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर दिए गए हालिया बयान को लेकर विपक्ष ने तीखे हमले किए हैं। बुधवार को समाजवादी पार्टी, कांग्रेस सहित कई नेताओं ने राजनाथ सिंह के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने इसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश करार दिया।
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "उन्हें एक अनुभवी नेता होने के नाते इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अग्निवीर जैसी योजनाओं को खत्म कर हमारे सैनिकों को स्थायी नौकरियां दी जानी चाहिए। यह उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।"
सपा सांसद अफजल अंसारी ने कहा, "साठ साल पहले की घटना पर चर्चा करके एक नया विवाद खड़ा करना कौन चाहता है? राजनाथ सिंह ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह सब जनता से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाने का प्रयास है।"
सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी ने साबित कर दिया है कि उनके पास केवल झूठ बोलने का एजेंडा है।"
राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, "अगर अमित शाह ने ऐसा कहा होता, तो मुझे बुरा नहीं लगता। लेकिन राजनाथ सिंह को ऐसा कहना दुखद है।"
टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, "जब कोई रक्षा मंत्री गलत बयान देता है, तो यह अच्छा नहीं लगता। उन्हें या तो सबूत पेश करने चाहिए, माफ़ी मांगनी चाहिए या इस्तीफा देना चाहिए।"
इसके पहले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा था कि हमारे पास जो दस्तावेज हैं, उसके अनुसार सरदार पटेल ने आरएसएस पर नफरत की राजनीति करने के लिए बैन लगाने का समर्थन किया था। अगर वे कुछ और साल जीवित रहते, तो ऐसी स्थिति नहीं बनती।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान में कहा था कि 'नेहरू बाबरी मस्जिद के लिए पब्लिक फंड का उपयोग करना चाहते थे।'