क्या हम किसी को छेड़ते नहीं हैं, कोई छेड़ता है तो उसे छोड़ते नहीं? : रवि कुमार त्रिपाठी

सारांश
Key Takeaways
- अहिंसा की बात शेर के मुंह से प्रभावी होती है।
- शस्त्र पूजन का महत्व हमारे जीवन में है।
- स्वदेशी हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- संघ का पंच परिवर्तन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आवश्यक है।
- भविष्य में बच्चों को सही दिशा में शिक्षित करना जरूरी है।
अहमदाबाद, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विजयादशमी पर शस्त्र पूजा और अहिंसा के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवि कुमार त्रिपाठी ने कहा कि यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। अहिंसा की बात शेर के मुंह से सुनना प्रभावी होता है, लेकिन यदि कोई भेड़ इसकी बात करे, तो उसका कोई महत्व नहीं है।
उन्होंने कहा कि शस्त्र पूजन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। हम किसी को सीधे तौर पर छेड़ते नहीं हैं, लेकिन अगर कोई छेड़ता है, तो हम उसे छोड़ते नहीं हैं। स्वदेशी का विचार बहुत पुराना है, लेकिन हम इसे भूल गए थे, क्योंकि हमें अन्य रास्तों पर ले जाया गया। स्वदेशी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। संघ का पंच परिवर्तन का सिद्धांत अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हमारे समाज की दिशा सही नहीं है। वर्तमान में हमारे बच्चे बाजरे की रोटी के बजाय पिज्जा मांगते हैं। यह इसलिए है क्योंकि हमने अपने बच्चों को सही तरीके से शिक्षित नहीं किया है। वहीं, संघ को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं। संघ का मुख्य उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना है, और यह तभी संभव है जब मानव मानसिकता और आचरण में परिवर्तन आए।
उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन के तहत हम घर-घर जाकर सामाजिक समरसता पर चर्चा करेंगे।
गुजरात प्रांत के सह प्रांत कार्यवाह सुनील बोरीसा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1925 में नागपुर से प्रारंभ हुआ। इसकी शाखाएं पहले नागपुर में थीं और अब पूरे भारत में फैली हुई हैं। आज हम देख रहे हैं कि तहसील स्तर पर भी संघ की शाखाएं हैं। संघ के 100 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, और इस उपलक्ष्य में हर नगर तहसील में शताब्दी वर्ष उत्सव का आयोजन हो रहा है।