क्या बॉलीवुड का गुमनाम अभिनेता रविंद्र कपूर कभी पहचान बना पाए?

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क्या बॉलीवुड का गुमनाम अभिनेता रविंद्र कपूर कभी पहचान बना पाए?

सारांश

रविंद्र कपूर, कपूर खानदान का एक अदृश्य सितारा, जिनका लंबा करियर और असंख्य फिल्में रही हैं।उनकी पहचान के संघर्ष और योगदान पर एक नज़र। जानें कि कैसे वे गुमनामी में खो गए।

Key Takeaways

  • रविंद्र कपूर ने अपने करियर में चार दशक बिताए।
  • उन्होंने पंजाबी सिनेमा में भी कार्य किया।
  • उनका नाम अक्सर किरदारों के साथ नहीं जुड़ा।
  • रविंद्र का जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल है।
  • उनकी आखिरी फिल्म बेनाम बादशाह थी।

मुंबई, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब हम कपूर खानदान का नाम लेते हैं, तो बड़े सितारे और फिल्मी कहानियाँ याद आती हैं। इस परिवार ने सिनेमा में कई महान सितारों को जन्म दिया है। पृथ्वीराज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक, जिनका अभिनय और व्यक्तित्व दर्शकों के दिलों में बस गया। लेकिन इस महान परिवार में एक ऐसा सदस्य भी था, जो अपने लम्बे करियर के बावजूद कभी अपनी पहचान नहीं बना सका।

वह थे रविंद्र कपूर, जो पृथ्वीराज कपूर के चचेरे भाई और प्रसिद्ध कैरेक्टर आर्टिस्ट कमल कपूर के भाई थे। रविंद्र कपूर ने चार दशकों से अधिक का समय फिल्मों में बिताया, लेकिन उनके कई किरदार इतने छोटे थे कि दर्शक उन्हें पहचानते थे, लेकिन नाम नहीं जान पाते थे।

रविंद्र कपूर का जन्म 15 दिसंबर 1940 को हुआ था। फिल्मी परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने कई संघर्ष किए। उन्होंने 1953 में फिल्म ठोकर से अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद वह पैसा (1957) जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल में नजर आए। उस समय हिंदी सिनेमा में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, इसलिए उन्होंने पंजाबी सिनेमा की ओर रुख किया। उन्होंने 1960 में आई फिल्म चंबे दी कली से अपनी पहली बड़ी सफलता पाई।

हिंदी सिनेमा में वापसी के बाद रविंद्र कपूर ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया। वे यादों की बारात, आया सावन झूम के और कारवां जैसी हिट फिल्मों का हिस्सा रहे। खासकर कारवां में उन्होंने जितेंद्र के दोस्त का किरदार निभाया, जो दर्शकों को भा गया। लेकिन उनके किरदारों का नाम अक्सर क्रेडिट में भी नहीं होता था। कभी-कभी उनका किरदार इतना छोटा होता था कि उनके नाम का उल्लेख ही नहीं होता था।

इसलिए दर्शक उन्हें देखते तो थे, लेकिन नाम याद नहीं रखते थे। यही रविंद्र कपूर के करियर की सबसे बड़ी चुनौती थी।

उनकी फिल्में लगातार आती रहीं, लेकिन वे अक्सर सपोर्टिंग रोल तक ही सीमित रहे। 1970 और 1980 के दशकों में उन्होंने मंजिल मंजिल, द बर्निंग ट्रेन, और कयामत से कयामत तक जैसी फिल्मों में भी काम किया। इन फिल्मों की सफलता के बावजूद उनका नाम कभी चर्चा का विषय नहीं बना। यह भी सच है कि राज कपूर की कंपनी आरके फिल्म्स में भी उन्हें काम करने का मौका नहीं मिला। इस वजह से रविंद्र कपूर हमेशा एक प्रतिभाशाली लेकिन गुमनाम अभिनेता बने रहे।

उनके करियर में पुरस्कारों या बड़े सम्मान की कमी रही, लेकिन उनका योगदान फिल्म इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने 1980 तक फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। उनकी आखिरी फिल्म बेनाम बादशाह (1991) थी। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली। रविंद्र कपूर ने कभी टीवी शो नहीं किए और उनका ध्यान हमेशा फिल्मों पर केंद्रित रहा।

रविंद्र कपूर का निधन 703 मार्च 2011 को हुआ।

Point of View

वे भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं, और उनकी कहानी को याद रखना जरूरी है।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

रविंद्र कपूर ने कितनी फिल्मों में काम किया?
रविंद्र कपूर ने चार दशकों में कई फिल्मों में काम किया, जिनमें 'यादों की बारात', 'कारवां', और 'चंबे दी कली' जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।
रविंद्र कपूर का जन्म कब हुआ?
रविंद्र कपूर का जन्म 15 दिसंबर 1940 को हुआ।
रविंद्र कपूर ने किस परिवार में जन्म लिया?
रविंद्र कपूर कपूर खानदान में जन्मे थे, जो बॉलीवुड का एक प्रसिद्ध परिवार है।
रविंद्र कपूर का निधन कब हुआ?
रविंद्र कपूर का निधन 3 मार्च 2011 को हुआ।
रविंद्र कपूर के प्रमुख किरदार कौन से थे?
रविंद्र कपूर ने 'कारवां' और 'यादों की बारात' जैसी फिल्मों में महत्वपूर्ण किरदार निभाए।
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