क्या रायबरेली में गंगा-जमुनी तहजीब की अनोखी मिसाल देखने को मिली?
सारांश
Key Takeaways
- रायबरेली में गंगा-जमुनी तहजीब का अद्भुत उदाहरण।
- 135 जोड़ों का सामूहिक विवाह और निकाह।
- एक ही मंच पर हिंदू और मुस्लिम परंपराओं का संगम।
- सरकार का सहयोग और सहायता राशि का वितरण।
- समानता और भाईचारे का संदेश।
रायबरेली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में सोमवार को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने सभी को भावुक कर दिया।
एक ही मंडप में, एक ओर मंत्रोच्चार के बीच हिंदू जोड़ों का विवाह हो रहा था, जबकि दूसरी ओर काजी साहब निकाह पढ़वा रहे थे। यह दृश्य हिंदुस्तान की सदियों पुरानी गंगा-जमुनी तहजीब का जीता-जागता प्रमाण बना।
जिला समाज कल्याण विभाग के शानदार आयोजन में कुल 135 जोड़ों ने सात फेरे और निकाह के माध्यम से नई ज़िंदगी का आरंभ किया। इसमें 128 जोड़े हिंदू थे, जिनका विधि-विधान से वैदिक मंत्रों के साथ विवाह संपन्न हुआ, जबकि 7 मुस्लिम जोड़ों का शरियत के अनुसार निकाह कराया गया। एक ही मंच, एक ही मंडप, यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है।
कार्यक्रम में दुल्हनें लाल-गुलाबी जोड़े और दुल्हे शेरवानी-कुर्ते में सजे थे। हिंदू जोड़ों को मंगलसूत्र, सिंदूर और फूलों का हार पहनाया गया, जबकि मुस्लिम दुल्हनों को उनकी परंपरा के अनुसार मेहर और दुआएं दी गईं। सभी जोड़ों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 51 हजार रुपये की सहायता राशि, एक-एक स्मार्टफोन, बर्तन, कपड़े और अन्य घरेलू सामान भेंट किया गया।
आयोजन स्थल पर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ बैठे थे। कोई अंतर नहीं, कोई भेदभाव नहीं – बस खुशी और बधाइयां। एक बुजुर्ग के अनुसार, “ये वही हिंदुस्तान है जिसकी हम बात करते हैं। एक मंडप में विवाह और निकाह – इससे खूबसूरत क्या होगा?”
जिलाधिकारी और समाज कल्याण अधिकारी ने सभी नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया और कहा कि यह कार्यक्रम केवल शादी कराने का नहीं, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देने का भी माध्यम है।