क्या सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य सिल्ट और कूड़े-कचरे के संकट में है?

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क्या सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य सिल्ट और कूड़े-कचरे के संकट में है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य खतरे में है? यह झील न केवल खूबसूरत है, बल्कि प्रवासी पक्षियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आवास है। आइए जानें इसके संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है।

Key Takeaways

  • सांगेत्सर त्सो, जो 12,000 फीट की ऊंचाई पर है, कई दुर्लभ पक्षियों का घर है।
  • झील में गाद और कूड़े-कचरे की समस्या बढ़ रही है।
  • संरक्षणवादियों ने इसे रामसर स्थल के रूप में नामांकित करने की मांग की है।
  • झील का पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है।
  • संबंधित अधिकारियों को तुरंत उपाय करने की जरूरत है।

डिब्रूगढ़, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य अनिश्चितता में है। यह झील समुद्र तल से लगभग 12,000 फीट (लगभग 3,708 मीटर) की ऊंचाई पर है। सांगेत्सर त्सो, जिसे माधुरी लेक के नाम से भी जाना जाता है, कई दुर्लभ और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण वेटलैंड है।

वर्तमान में, झील में लगातार गाद का जमाव हो रहा है और आसपास के क्षेत्रों में कूड़ा-कचरा बढ़ रहा है, जिससे यह इकोलॉजिकल रूप से महत्वपूर्ण वेटलैंड सिकुड़ रहा है और इसका नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है। इस कारण, संरक्षणवादियों ने अधिकारियों से यह मांग की है कि इस झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा (रामसर स्थल) के लिए नामांकित किया जाए, ताकि इसे बचाया जा सके।

रेंजर फेडरेशन ऑफ एशिया के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय रेंजर फेडरेशन के सदस्य बंटी ताओ ने कहा कि झील की पारिस्थितिकी नींव खतरे में है क्योंकि गाद के जमाव और नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरे से सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंच रहा है, जो कई पक्षियों की खाद्य श्रृंखला का आधार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूडी शेल्डक और अन्य उच्च ऊंचाई पर रहने वाली पक्षी प्रजातियाँ प्रजनन के लिए ऐसी झीलों पर निर्भर हैं, और झील के खो जाने का गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकता है।

ताओ के अनुसार, सांगेत्सर त्सो पूरी तरह से विश्व स्तर पर महत्व रखने वाले वेटलैंड के मानदंडों को पूरा करता है और इसे रामसर साइट के रूप में नामित किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत रामसर कन्वेंशन (1971) का अनुबंधकर्ता देश है। यह झील प्रवासी पक्षियों के सर्दियों के आवास और प्रजनन के लिए एक अहम स्थल है।

संरक्षणवादी और बर्डिंग गाइड लोबसांग त्सेरिंग ने कहा कि तवांग जिले की झीलें कई प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं, जैसे रूडी शेल्डक, व्हाइट-थ्रोटेड डिपर, व्हाइट-थ्रोटेड रेडस्टार्ट, व्हाइट-विंग्ड रेडस्टार्ट और गोल्डक्रेस्ट। उन्होंने चेतावनी दी कि ये वेटलैंड सर्दियों की शरणस्थली और प्रजनन स्थल हैं, और यदि इनका ध्यान नहीं रखा गया तो पक्षी वापस आना बंद कर सकते हैं।

अभी झील में गाद नियंत्रण के कोई प्रभावी उपाय नहीं हैं, और आसपास के खाने-पीने की जगहों तथा पर्यटकों से निकलने वाला कचरा स्थिति को और बिगाड़ रहा है। संरक्षणवादी मांग कर रहे हैं कि इस झील को बचाने के लिए संबंधित अधिकारियों को तुरंत परियोजना शुरू करनी चाहिए, जिसमें नुकसान को कम करने के ठोस उपाय शामिल हों।

Point of View

बल्कि यह हमारे देश की जैव विविधता को भी बनाए रखने में मदद करता है। हमें तुरंत एक्शन लेने की आवश्यकता है।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

सांगेत्सर त्सो का क्या महत्व है?
सांगेत्सर त्सो प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है और यह कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए जीवनदायिनी है।
क्या इस झील को रामसर स्थल के रूप में नामांकित किया गया है?
अभी तक इस झील को रामसर स्थल के रूप में नामांकित नहीं किया गया है, लेकिन संरक्षणवादियों ने इसकी मांग की है।
सांगेत्सर त्सो को बचाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
गाद नियंत्रण उपाय और कूड़े-कचरे के निपटान के लिए ठोस योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
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