क्या श्री अधिपुरीश्वर मंदिर में सर्प दोष और राहु-केतु की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए भक्त आते हैं?

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क्या श्री अधिपुरीश्वर मंदिर में सर्प दोष और राहु-केतु की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए भक्त आते हैं?

सारांश

श्री अधिपुरीश्वर मंदिर, भगवान शिव का एक अद्भुत स्थल है, जहां भक्त सर्प दोष और राहु-केतु के प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जानें इस मंदिर की खासियतें और पूजा विधियों के बारे में।

Key Takeaways

  • श्री अधिपुरीश्वर मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं।
  • यह मंदिर सर्प दोष और राहु-केतू से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
  • मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरणें विशेष तिथियों पर पड़ती हैं।
  • यहाँ कई उप मंदिर हैं, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं।
  • प्रदोष और महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में भगवान विष्णु को समर्पित अनेक मंदिर हैं, लेकिन भगवान शिव के बिना यह धरती अधूरी मानी जाती है। जहां भगवान विष्णु होते हैं, वहां भगवान शिव का होना अनिवार्य है।

चेन्नई में एक ऐसा भगवान शिव का मंदिर है, जिसे दूसरा श्री कालहस्ती मंदिर कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्री कालहस्ती मंदिर नहीं जा पाते, वे इस मंदिर में पूजा कर सकते हैं। हम बात कर रहे हैं श्री अधिपुरीश्वर मंदिर की, जहां भगवान शिव विराजमान हैं।

यह मंदिर चेन्नई के पल्लीकरनई में स्थित है। इस मंदिर के पास वेलाचेरी-तांबरम मुख्य मार्ग है, जो मंदिर तक पहुंचने का रास्ता सरल बनाता है। यहां भगवान शिव अधिपुरीश्वर के रूप में विराजमान हैं और उनके साथ उनकी पत्नी श्री शांता नयगी भी हैं।

कहा जाता है कि ऋषि व्याघ्रपाद ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे स्थान की खोज की, जहां बहुत सारे बिल्व वृक्ष हों। उन्होंने धरती के हर कोने को छान मारा और भगवान शिव ने उन्हें बाघ के पैर प्रदान किए, जिससे वे जल्दी ही उस स्थान को खोज सकें। इस घटना की जानकारी जब राज्य के राजा को मिली, तो उन्होंने वहां ऋषि के पूजा स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया।

ऐसा माना जाता है कि जो लोग सर्प दोष या राहु-केतू के प्रभाव से पीड़ित हैं और श्री कालहस्ती मंदिर नहीं जा सकते, वे इस मंदिर में आकर 'परिहार पूजा' करा सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें श्री कालहस्ती मंदिर के समान पुण्य प्राप्त होता है।

मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि मासी महीने (फरवरी और मार्च में) में 15 और 30 तारीख को सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के गर्भगृह में पड़ती हैं। कहा जाता है कि स्वयं भगवान सूर्य भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए आए हैं। अध्यात्म के साथ-साथ मंदिर की वास्तुकला भी अद्वितीय है।

मंदिर के अंदर कई उप मंदिर हैं, जिनकी अपनी विशेषताएं हैं। इनमें भगवान अंजनेयार, नवग्रह मंदिर, स्वर्ण आकर्षण भैरवर, राहू और केतु, महाविष्णु, चंडिकेश्वर और महेश्वरी के मंदिर शामिल हैं। 700 साल पुराने इस मंदिर में प्रदोष और महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा होती है।

मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की प्रतिमा है और मां शांता के मंदिर की दीवारों पर कामाक्षी, लक्ष्मी और सरस्वती की कलाकृतियां बनी हैं।

यह मंदिर सर्प दोष और राहु-केतू की पीड़ा को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। यहां भक्त संतान प्राप्ति का आशीर्वाद लेने भी आते हैं।

Point of View

बल्कि दूर-दूर से आने वालों के लिए भी एक आस्था का केंद्र है। यहाँ की विशेष पूजा विधियाँ और वास्तुकला इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

श्री अधिपुरीश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर चेन्नई के पल्लीकरनई में स्थित है।
क्या इस मंदिर में सर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा की जाती है?
हाँ, इस मंदिर में सर्प दोष और राहु-केतू की पीड़ा से मुक्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है।
इस मंदिर की खासियत क्या है?
इस मंदिर की खासियत मासी महीने में सूर्य की किरणें गर्भगृह में पड़ना है।
क्या यहाँ अन्य उप मंदिर भी हैं?
जी हाँ, यहाँ कई उप मंदिर हैं, जिनमें भगवान अंजनेयार, नवग्रह, और भैरवर के मंदिर शामिल हैं।
क्या इस मंदिर में कोई विशेष त्योहार मनाए जाते हैं?
हाँ, प्रदोष और महाशिवरात्रि के दिन यहाँ विशेष पूजा होती है।