क्या श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने 14 उप-समितियों का गठन कर प्रमुख सुधारों को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की पहली बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
- 14 उप-समितियों का गठन किया गया है।
- श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे।
- मंदिर की परंपराओं और परिसंपत्तियों की सुरक्षा पर जोर दिया जा रहा है।
- दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए रैंप और अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
पुरी, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवगठित श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की पहली बैठक पुरी में सम्पन्न हुई, जिसमें प्रशासन को मजबूत करने, श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार लाने तथा मंदिर की परंपराओं और परिसंपत्तियों की सुरक्षा के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
बैठक के दौरान, पिछली उच्च-स्तरीय समिति की बैठक के कार्यवृत्त पढ़े गए और उनकी पुष्टि की गई। नवगठित प्रबंध समिति के नए सदस्यों का औपचारिक स्वागत किया गया।
श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने मंदिर के प्रशासन और भक्तों के अनुभव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लिए गए प्रमुख निर्णयों और चर्चाओं पर प्रकाश डाला।
प्रशासन और संचालन संबंधी मामलों पर मुख्य प्रबंध समिति को सलाह देने के लिए विभिन्न उपसमितियों का गठन किया गया। भक्तों के लिए सुगम दर्शन सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई, जिसमें नट मंडप में लकड़ी की बैरिकेडिंग व्यवस्था लागू करना भी शामिल था।
समिति ने नटमंडप में कतारबद्ध दर्शन शुरू करने पर चर्चा की। जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, पांच सेवायत समूहों के प्रतिनिधि, ओडिशा पुल निर्माण निगम (ओबीसीसी), और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संयुक्त रूप से इस व्यवस्था की समीक्षा करेंगे।
यह निर्णय लिया गया कि रीति-रिवाज अप्रभावित रहें। कतारबद्ध दर्शन पहले परीक्षण के तौर पर शुरू किया जाएगा, जिसके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। एएसआई ने नटमंडप में एयर कंडीशनिंग व्यवस्था को पहले ही मंज़ूरी दे दी है।
समिति ने दिव्यांग श्रद्धालुओं की पहुंच सुगम बनाने के लिए उत्तरी द्वार पर एक रैंप के निर्माण को भी मंजूरी दी, जिसके लिए एक अलग मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाएगी। मंदिर परिसर में एक स्तनपान कक्ष के संचालन की योजना पर भी चर्चा की गई।
मंदिर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप एक अलग सुरक्षा उपसमिति का गठन किया गया, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल डॉ. गिरीश मुर्मू को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, साथ ही जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को सदस्य नियुक्त किया गया है।
अन्य प्रमुख समितियों में वित्त समिति, कोषागार समिति, अपील उप-समिति, सेवायत कल्याण समिति (जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में), भूमि उप-समिति (मुख्य प्रशासक की अध्यक्षता में), श्री जगन्नाथ तत्व अनुसंधान और प्रकाशन उप-समिति, परियोजना सांस्कृतिक उप-समिति (गजपति महाराज की अध्यक्षता में), और श्री जगन्नाथ मंदिर पेंशन ट्रस्ट बोर्ड उप-समिति शामिल हैं।
अरबिंद पाधी ने यह भी बताया कि प्रशासन ने श्रद्धालुओं को धोखा देने का प्रयास करने वाली फर्जी वेबसाइटों की पहचान की है और इन धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए औपचारिक शिकायतें दर्ज की हैं।
वहीं सुरक्षा उपसमिति के नवनियुक्त अध्यक्ष गिरीश मुर्मू ने कहा कि यह भगवान की कृपा है कि हमें समिति में सेवा करने का अवसर मिला है। मंदिर की विभिन्न समस्याओं की पहचान और उनका व्यवस्थित एवं कुशल तरीके से समाधान करने को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रत्येक समस्या पर चर्चा की जाएगी और समाधान को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। समस्याओं की समझ जितनी स्पष्ट होगी, कार्य उतने ही सफल होंगे।