क्या शुक्रवार व्रत से दूर होंगे दोष? जानें इसे शुरू करने का शुभ समय

Click to start listening
क्या शुक्रवार व्रत से दूर होंगे दोष? जानें इसे शुरू करने का शुभ समय

सारांश

शुक्रवार व्रत के महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में जानें। यह व्रत न केवल देवी-देवताओं की कृपा से कष्ट दूर करता है, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है। सही समय पर व्रत शुरू करने से आपको अधिक लाभ मिलेगा।

Key Takeaways

  • शुक्रवार व्रत का पालन करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  • यह व्रत संतोषी मां और मां लक्ष्मी को समर्पित है।
  • व्रत के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस व्रत को 16 शुक्रवार तक लगातार करना चाहिए।
  • पूजा में श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुक्रवार को है। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा रात के 10 बजकर 15 मिनट तक वृषभ राशि में रहेंगे। इसके बाद मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार के दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, शुक्रवार व्रत मुख्य रूप से संतोषी मां और धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से जातक के जीवन में चल रहे सभी कष्टों का नाश होता है और माता रानी अपने भक्तों को सभी कष्टों से बचाती हैं। साथ ही उनकी जो भी मनोकामनाएं होती हैं, उन्हें भी पूर्ण करती हैं।

वहीं, शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे संबंधित दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है। आमतौर पर यह व्रत लगातार 16 शुक्रवार तक रखा जाता है, जिसके बाद उद्यापन किया जाता है।

इस व्रत को करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। मंत्र जप करें, 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' और 'विष्णुप्रियाय नमः' का जप भी लाभकारी है।

अगर आप मां संतोषी का व्रत रखते हैं, तो खट्टी चीजों का सेवन न करें। हालांकि, दिन में एक बार मीठे के साथ किसी एक अनाज का सेवन कर सकते हैं, जैसे खीर-पूरी। व्रत के दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का सेवन घर के किसी सदस्य को भी नहीं करना चाहिए और साथ ही गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

Point of View

बल्कि यह जातक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी सहायक है। यह व्रत भक्तों को मनोकामनाओं की पूर्ति का आश्वासन देता है और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देता है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

शुक्रवार व्रत का क्या महत्व है?
शुक्रवार व्रत का महत्व संतोषी मां और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में है। यह व्रत कष्टों का नाश करता है और मनोकामनाएं पूरी करता है।
क्या सभी लोग शुक्रवार व्रत रख सकते हैं?
हाँ, कोई भी व्यक्ति इस व्रत को रख सकता है, लेकिन इसे विधि-विधान से करना आवश्यक है।
शुक्रवार व्रत कब शुरू किया जा सकता है?
यह व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है।
Nation Press