क्या श्याममणि देवी ने अपनी मधुर आवाज से ओडिसी शास्त्रीय संगीत को नई पहचान दी?
सारांश
Key Takeaways
- श्याममणि देवी का जन्म 21 दिसंबर 1938 को हुआ था।
- उन्होंने 12 साल की उम्र में संगीत में करियर शुरू किया।
- उन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- उनके गुरु ने उन्हें शास्त्रीय ओडिसी संगीत में प्रशिक्षित किया।
- उन्होंने ओडिसी संगीत को नई पहचान दी।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 21 दिसंबर... यह केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक है, क्योंकि इसी दिन 1938 में ओडिसी शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक नवीनता लाने वाली एक प्यारी मुस्कान और मधुर आवाज का जन्म हुआ था। यह कोई और नहीं, बल्कि श्याममणि देवी हैं। राजेंद्र मोहन पटनायक और निशामणि पटनायक की सबसे छोटी संतान श्याममणि, परिवार में खुशियों की किरण थीं, लेकिन किसे पता था कि यह बच्ची भविष्य में ओडिसी शास्त्रीय संगीत को एक नई पहचान देने जा रही है?
बचपन से ही संगीत के प्रति उनका आकर्षण अद्वितीय था। जब परिवार के सदस्य अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे, तब श्याममणि अपने नन्हे हाथों से संगीत का आनंद ले रही थीं। उस समय समाज महिलाओं के लिए संगीत में आगे बढ़ना आसान नहीं मानता था, लेकिन श्याममणि ने कभी हार नहीं मानी। उनके पिता राजेंद्र मोहन पटनायक और उनके मामा, प्रख्यात संगीतकार कालीचरण पटनायक, उनके सपनों के सबसे बड़े समर्थक बने।
12 साल की उम्र में उन्होंने अपने संगीत यात्रा की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो, कटक से की, जब उनकी मासूम आवाज़ रेडियो की लहरों पर गूंज उठी और लोगों के दिलों को छू गई। इसके बाद उनके जीवन में गुरु सिंघारी श्यामसुंदर कर और पंडित बालकृष्ण दास आए, जिन्होंने उन्हें शास्त्रीय ओडिसी संगीत के जादू में पारंगत किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बी.आर. देवधर और कुंडला आदिनारायण राव से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने छंदा, चंपू, पारंपरिक ओडिया लोक संगीत और ओडिया फिल्म संगीत में भी महारत हासिल की। उनके गाए गीतों ने उपेंद्र भांजा, कबीसूरज्य बालादेबा रथ, बनमाली दास और गोपालकृष्ण जैसे महान कवियों की रचनाओं को नई जिंदगी दी।
समय के साथ, श्याममणि देवी की मधुर आवाज सिर्फ सुर और ताल तक सीमित नहीं रही। उनके गीतों में भावनाओं की गहराई, संस्कृति की मिठास और जीवन की सौंदर्यबोध झलकने लगी। उन्होंने संगीत के माध्यम से लोगों के दिलों को छुआ और युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया।
2018 में उनके जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री 'श्याममणि देवी – ओडिसी शास्त्रीय गायिका' आई, जिसमें उनके संघर्ष, समर्पण और अद्भुत गायकी को दर्शाया गया।
2022 में, उनकी उत्कृष्ट गायिकी और योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल उनके नाम के लिए नहीं, बल्कि ओडिसी संगीत के संरक्षण और प्रसार के उनके अमूल्य योगदान के लिए था।