क्या पाकिस्तान में सिंधी कल्चर डे रैली के दौरान पुलिस कार्रवाई ने बवाल मचाया?
सारांश
Key Takeaways
- सिंधी कल्चर डे का आयोजन हर साल होता है।
- पुलिस की कार्रवाई ने स्थिति को बिगाड़ दिया।
- सांस्कृतिक समरसता को बनाए रखने की जरूरत है।
- सिंध और पंजाब के बीच पानी के विवाद ने तनाव पैदा किया है।
- स्थानीय मीडिया ने घटना की गंभीरता को उजागर किया।
कराची, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के कराची में सिंधी कल्चर डे रैली में शामिल लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने डंडे बरसाए और कई लोगों को हिरासत में लिया। रविवार को शहर के शरिया फैसल में पुलिस ने अचानक ही लोगों से तयशुदा मार्ग छोड़कर दूसरे पर चलने की हिदायत दी। इससे लोग नाराज हो गए और स्थिति बिगड़ गई। स्थानीय मीडिया ने इसकी जानकारी दी।
जिओ टीवी ने कराची पुलिस के हवाले से बताया कि रैली में शामिल लोगों ने पुलिस के साथ बहस की, जिसके बाद पत्थर फेंके गए। इस घटना में पेट्रोल वैन और एक पानी के टैंकर के शीशे टूट गए। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने फायरिंग की और कई लोगों को हिरासत में लिया।
इस घटनाक्रम के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए हैं। लोगों का कहना है कि हर साल ऐसा होता है, लेकिन इस बार पुलिस ने उनसे गलत व्यवहार किया, अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उन पर गोलियां चलाई।
इस बीच, ट्रैफिक भी काफी देर तक बाधित रहा।
सिंध कल्चर डे हर साल दिसंबर के पहले रविवार को मनाया जाता है, जिसे सिंध की संस्कृति में सहनशीलता, शांति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने एकता का संदेश देते हुए कहा कि आजादी के समय सिंध पहला प्रांत था जिसकी असेंबली ने पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया था।
हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि समय के साथ सिंधियों के मुकाबले पंजाब प्रांत का सियासी प्रभाव अधिक रहा है। इसका कारण पंजाब प्रांत की जीडीपी में अधिक योगदान माना जाता है।
पंजाब और सिंध के बीच मुख्य तनाव सिंधु नदी के पानी के बंटवारे, आर्थिक प्रभुत्व और राजनीतिक शक्ति को लेकर रहा है। हाल ही में चोलिस्तान नहर परियोजना ने सिंध में बड़े विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। सिंधियों को हमेशा डर है कि पंजाब की ओर पानी मोड़ने से उनके प्रांत में सूखा और बर्बादी आएगी, जबकि पंजाब अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है, जिससे दशकों पुरानी प्रतिद्वंद्विता और गहरी हो रही है।