क्या नेता प्रतिपक्ष संवैधानिक पद पर रहते हुए तथ्यों पर नहीं बोलना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- रोहन गुप्ता ने राहुल गांधी के बयानों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का स्वागत किया।
- राहुल का दावा बिना सबूत का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया।
- नेता प्रतिपक्ष को तथ्यों पर आधारित बोलने की आवश्यकता है।
- राजनीति में तथ्यों को तोड़-मरोड़ना गलत है।
- राहुल गांधी को अपनी गलती स्वीकार कर देश से माफी मांगनी चाहिए।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राहुल गांधी से उनके उस दावे पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कहा था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है। कोर्ट ने राहुल के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा, “अगर वह सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बातें नहीं करते।”
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में रोहन गुप्ता ने कोर्ट के बयान का समर्थन करते हुए राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला और कहा कि नेता प्रतिपक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को तथ्यों के आधार पर बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी का बयान बिना सबूत के है। कोर्ट ने सही कहा कि उन्हें यह बताना चाहिए कि 2000 वर्ग किलोमीटर कब्जे का दावा किस दस्तावेज पर आधारित है।” उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल के बयान का इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश कर रहे हैं, जो देशहित में नहीं है।
भाजपा नेता ने कहा कि विपक्ष का काम सरकार को घेरना है, लेकिन यह काम तथ्यों और सबूतों के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी से संसद में दस्तावेजों के साथ सवाल उठाने की सलाह दी, ताकि सरकार को जवाब देना पड़े।
उन्होंने कहा, “सिर्फ राजनीति के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर देश के खिलाफ बयान देना गलत है। सरकार का विरोध करते-करते देश का विरोध शुरू करना स्वीकार्य नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को तथ्यपरक बात करने की सलाह दी। साथ में यह भी कहा कि उनके आक्षेप देश के लिए ठीक नहीं हैं। गुप्ता ने कहा, “राहुल गांधी को जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। उनके बयान देश की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि आक्षेप तथ्यों पर आधारित होने चाहिए।”
रोहन गुप्ता ने राहुल गांधी को अपनी गलती स्वीकार कर देश से माफी मांगने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “नेता प्रतिपक्ष को देशहित में बोलना चाहिए, न कि दुश्मन देशों के पक्ष में।”