क्या शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद में सुप्रीम कोर्ट 12 नवंबर को उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई करेगा?

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क्या शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद में सुप्रीम कोर्ट 12 नवंबर को उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई करेगा?

सारांश

शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 12 नवंबर को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। उद्धव ठाकरे की याचिका पर यह सुनवाई महत्वपूर्ण राजनीतिक नतीजों को प्रभावित कर सकती है। क्या न्यायालय का निर्णय महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा को बदल सकता है? जानिए इस विवाद के सभी पहलू।

Key Takeaways

  • शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
  • उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती दी है।
  • इस मामले का महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • कपिल सिब्बल उद्धव ठाकरे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • इस विवाद का न्यायालय का निर्णय लोकतंत्र की दिशा को प्रभावित कर सकता है।

नई दिल्ली, ८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना पार्टी के चुनाव चिन्ह विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट अगामी महीने में सुनवाई करने जा रहा है। उद्धव ठाकरे द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को १२ नवंबर की तारीख तय की है।

शिवसेना-यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को पार्टी का नाम 'शिवसेना' और चुनाव चिन्ह 'धनुष-बाण' देने का निर्णय लिया गया था।

उद्धव ठाकरे का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव जनवरी २०२६ में प्रस्तावित हैं, इसलिए इस मामले पर जल्दी सुनवाई की आवश्यकता है। इसके चलते न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई अगले महीने तय करने पर सहमति जताई।

शीर्ष अदालत ने कहा, "हम १२ नवंबर को सभी पक्षों की सुनवाई करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो १३ नवंबर को भी सुनवाई जारी रख सकते हैं।"

कपिल सिब्बल ने शिवसेना (यूबीटी) गुट द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर भी तात्कालिक सुनवाई की मांग की। इस याचिका में महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत सत्तारूढ़ खेमे के १६ विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

इस पर, न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि कपिल सिब्बल को संयुक्त सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की अनुमति लेनी चाहिए, क्योंकि दूसरी याचिका एक अलग बेंच के समक्ष लंबित है।

बुधवार की सुनवाई से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यह निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि इस देश को किस दिशा में ले जाना है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां लोकतंत्र को जीवित रहना चाहिए और इसे मजबूत होना चाहिए। हम यही अपेक्षा करते हैं कि न्यायालय का निर्णय निष्पक्ष और संविधान पर आधारित होगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में विजय वडेट्टीवार ने कहा, "यह जनता को यह दिखाने का सुनहरा अवसर है कि देश संविधान और कानून के शासन से चलता है।"

गौरतलब है कि मार्च २०२३ में, शीर्ष अदालत ने एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह देने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालाँकि, वह इस फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गई। फिलहाल, सुनवाई की तारीख १२ नवंबर निर्धारित की गई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद महज एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की जटिलताओं का प्रतीक है। इस मुद्दे पर न्यायालय का निर्णय केवल एक पार्टी की नहीं, बल्कि लोकतंत्र के स्वास्थ्य का भी माप होगा।
NationPress
08/10/2025

Frequently Asked Questions

शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद क्या है?
शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद एक कानूनी संघर्ष है जिसमें उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कब होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख निर्धारित की है।
उद्धव ठाकरे का पक्ष कौन प्रस्तुत कर रहा है?
उद्धव ठाकरे का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कर रहे हैं।
क्या इस मामले का चुनावों पर असर पड़ेगा?
हां, यह मामला महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
क्या यह मामला संविधान के तहत है?
जी हां, यह मामला संविधान और कानून के शासन से संबंधित है।