क्या तेजस्वी ने मतदाता पुनरीक्षण पर उठाए सवाल? सिर्फ टारगेट पूरा करने की कवायद है?

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है।
- सत्यापन की कमी से लोकतंत्र पर खतरा है।
- बिहार के मतदाता सतर्क हैं और आर-पार का मूड बना चुके हैं।
पटना, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन ने एक बार फिर मतदाता पुनरीक्षण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केवल लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि वास्तविकता में सही तरीके से सत्यापन नहीं हो रहा है।
पटना में महागठबंधन के संयुक्त प्रेस वार्ता में विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उच्चाधिकारियों द्वारा बीएलओ को मौखिक आदेश दिए गए हैं केवल लक्ष्य को पूरा करने के लिए। तेजस्वी ने यह भी कहा कि बीएलओ बिना मतदाताओं से पूछे ही फर्जी तरीके से फॉर्म भर रहे हैं और अंगूठे के निशान या हस्ताक्षर भी खुद कर रहे हैं।
उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से फेंका हुआ फॉर्म दिखाया और यह कहते हुए तंज कसा कि सड़कों और गलियों में फॉर्म फेंक दिए गए हैं जबकि लोग जलेबी खा रहे हैं। तेजस्वी ने इस मतदाता पुनरीक्षण को सिर्फ 'आई वॉश' करार देते हुए कहा कि भाजपा पहले से तय कर चुकी है कि किस बूथ पर कितने मतदाताओं के नाम काटने हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग सतर्क हैं, इस बार आर-पार होगा। यहां 90 प्रतिशत लोग पिछड़े वर्ग से हैं, इनकी रोटी छीनी जा सकती है, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं। उन्होंने विधानसभावार आंकड़े जारी करने की मांग करते हुए कहा कि चुनाव आयोग का दावा है कि 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है, लेकिन सवाल यह है कि यह किस विधानसभा क्षेत्र से हुआ और कितना?
तेजस्वी ने कहा कि मतदाताओं को यह भी नहीं पता कि उनका फॉर्म सही ढंग से जमा हुआ है या नहीं, क्योंकि आयोग न तो पावती पर्ची दे रहा है और न कोई विकल्प। आंकड़े केवल अपलोडिंग का संकेत दे रहे हैं जबकि आयोग ने प्रमाणिकता, सहमति और वैधता की कोई गारंटी नहीं दी है। आयोग का 80 प्रतिशत का दावा जमीनी हकीकत से पूरी तरह विपरीत है।
तेजस्वी ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन हर स्तर पर इस प्रक्रिया पर नज़र रखे हुए है और सभी जिलों से फीडबैक लिया जा रहा है। उन्होंने आंकड़ों के आधार पर बताया कि बिहार में लगभग 7.90 करोड़ मतदाता हैं और यदि एक प्रतिशत भी मतदाता का नाम कट जाता है, तो यह संख्या करीब आठ लाख होगी। इस प्रेस वार्ता में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपने विचार साझा किए।